कोरोना जांच के नाम पर निचले स्तर पर न सिर्फ अब खानापूर्ति की जा रही है, बल्कि जांच किट की भी बड़े पैमाने पर हेराफेरी हो रही है। रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड सहित उन जगहों पर जहां कोरोना जांच की व्यवस्था की गई है, वहां गड़बड़ी की जा रही है। खासकर जंक्शन पर बिना जांच किए ही बाहर से आने वाले या बाहर जाने वाले यात्रियों के नाम और मोबाइल नंबर रजिस्टर में दर्ज कर लिए जा रहे हैं।
फिर अगले दिन उनके मोबाइल नंबर पर मैसेज आता है कि ‘आपका कोरोना वायरस की जांच के लिए सैंपल लिया गया था। एंटीजन जांच में वह निगेटिव पाया गया है। मास्क पहने और सामाजिक दूरी बनाये रखें। किसी भी चिकित्सकीय सहायता के लिए 104 पर कॉल करें।’ यहां गौर करने वाली बात यह है कि अगर जांच हुई ही नहीं तो जांच किट कहां गई। अगर पटना जंक्शन की ही बात करें तो यहां रोजाना औसतन 500 लोगों की जांच की जा रही है। इनमें से अगर 25 फीसदी यानी 125 जांच को ही सिर्फ रजिस्टर पर मान लें तो उतनी जांच किट कहां जा रही है। हालांकि इससे कहीं अधिक संख्या में बिना जांच के नाम व मोबाइल नंबर दर्ज किये जा रहे हैं। एक एंटीजन जांच किट की कीमत खुले बाजार में लगभग 250 रुपए है।
पटना जंक्शन सिर्फ उदाहरण मात्र है। अन्य जगहों पर जहां सरकारी स्तर पर कोरोना जांच की जा रही है, वहां भी निचले स्तर पर खेल हो रहा है। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार सभी प्रमुख रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड, एयरपोर्ट एवं प्रमुख हाट-बाजार में कोरोना की जांच अभी की जा रही है।
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