आपने चोरी की बहुत सी घटनाओं के बारे में सुना होगा. चोरी के मामलों में अगर चोर शातिर हो तो जल्दी पुलिस की पकड़ में नहीं आता. ज़्यादा समय बीत जाने के बाद तो चोर का पीछा करना भी छोड़ दिया जाता है लेकिन आज हम आपको एक ऐसी चोरी के बारे में बताने जा रहे हैं जिसके चोर के बारे में 2-4 साल बाद नहीं बल्कि पूरे 52 साल बाद पता चला. ये चोरी का मामला अमेरिका के बैंकों में हुई सबसे कुख्यात लूट की घटनाओं में से एक था. उस चोरी के 52 साल बीत जाने के बाद अब अमेरिकी अधिकारियों ने ये सूचना दी है कि चोर पकड़ा गया. बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार जुलाई 1969 में टेड कॉनराड नामक एक व्यक्ति ने अमेरिकी राज्य ओहायो के क्लीवलैंड शहर के सोसाइटी नेशनल बैंक में बड़ी चोरी की थी. इस बैंक में बतौर एक टेलर काम करने वाले कॉनराड ने उस दौर में बैंक को 2 लाख 15 हज़ार डॉलर (आज के समय में 1.7 मिलियन डॉलर) की चपत लगाई थी.
यूएस मार्शल सर्विस के जांचकर्ताओं के अनुसार कॉनरोड ने 20 साल की उम्र में बैंक से पैसे गायब किये थे. उसके बाद उसने बिना किसी दिखावे के बहुत ही शांत और सरल जीवन बिताया. रिपोर्ट के अनुसार कॉनरोड ने बैंक की सुरक्षा खामियों का फायदा उठाया और एक दिन उसने भूरे रंग के कागज़ के बैग में सारे पैसे पैसे भरे और बड़े ही सामान्य तरीके से बैंक से बाहर आ गया.
1.7 मिलियन डॉलर उड़ा लिए बैंक से
यूएस मार्शल सर्विस के जांचकर्ताओं के अनुसार कॉनरोड ने 20 साल की उम्र में बैंक से पैसे गायब किये थे. उसके बाद उसने बिना किसी दिखावे के बहुत ही शांत और सरल जीवन बिताया. रिपोर्ट के अनुसार कॉनरोड ने बैंक की सुरक्षा खामियों का फायदा उठाया और एक दिन उसने भूरे रंग के कागज़ के बैग में सारे पैसे पैसे भरे और बड़े ही सामान्य तरीके से बैंक से बाहर आ गया.
बहुत सामान्य तरीके से की चोरी जब तक बैंक में हुई इस चोरी के बारे में बैंक के बाकी कर्मचारियों को पता चलाता तब तक कॉनराड अपना सबकुछ छोड़-छाड़ कर पैसों के साथ गायब हो गया था. उसके गायब होते ही सीधा शक उसी पर गया और जांच एजेंसियां उसे तलाशने लगीं. उसके बारे में टीवी शो ‘अमेरिकाज़ मोस्ट वॉन्डेट’ और ‘अनसॉल्व्ड मिस्ट्री’ में भी दिखाया गया. 50 सालों तक कॉनरोड की तलाश जारी रही लेकिन वो किसी के हाथ नहीं आया.
फिल्म देख कर आया चोरी का आइडिया
कमाल की बात ये है कि कॉनरोड को बैंक में चोरी करने का ये आइडिया एक फिल्म देखने के बाद आया था. कॉनरोड ने जब 1968 में स्टीव मैक्वीन की रॉबरी फिल्म ‘द थॉमस क्राउन अफ़ेयर’ देखी तो उसे आइडिया आया कि इस तरह से बैंक में चोरी करना आसान होगा. कहा जाता है कि इस फिल्म को दर्जनों बार देखने के बाद कॉनरोड ने बैंक में चोरी का प्लान बनाया और इसे अपने दोस्तों के साथ साझा करते हुए ये दावा किया कि ऐसा करना उनके लिए बहुत आसान काम होगा..
40 सालों तक रहा गोल्फ खिलाड़ी बन कर रहा
चोरी के पैसों के साथ गायब होने के बाद कॉनराड वाशिंगटन और लॉस एंजिल्स के लिए निकल गया. इसके साथ ही उसने अपना नाम बदल कर थॉमस रन्डेल रख लिया. मामला कुछ शांत होने के बाद कॉनरोड बोस्टन के जिस बाहरी इलाक़े में आ कर बसा वो जगह बैंक से मात्र 100 किमी ही दूर थी.
न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक चोरी के बाद एक शांत और सरल जीवन जीने वाले कॉनरोड 40 साल तक गोल्फ के एक पेशेवर खिलाड़ी और सैकेंड हैंड कारों के डीलर रूप में काम करता रहा.
इतने सालों में चोरी का ये मामला ठंडा पड़ने लगा था कि तभी जांचकर्ताओं की नजर एक दिन एक अखबार में दिए गए मृत्यु संदेश पर पड़ी. इस मृत्यु संदेश में कॉनरोड का नाम ‘रन्डेल’ दिया गया था. 1960 के दशक के दौरान उनके फाइल किए गए दस्तावेजों से उनके हालिया दस्तावेजों के मिलाया गया और फिर ये बात सामने आई कि रन्डेल और कॉनराड दोनों एक ही शख़्स हैं. इसके बाद जांचकर्ताओं ने सालों बाद एक बार फिर से बैंक चोरी के इस मामले की जांच तेज कर दी.
मृत्यु संदेश से सुलझा केस
जांचकर्ताओं की टीम का हिस्सा रहे मार्शल पीटर एलियट को अपराधियों के बारे में पता लगाने का हुनर उनके पिता से मिला. मार्शल एलियट के पिता हमेशा से कॉनरोड के बारे में जानने के लिए उत्सुक थे. उनकी मौत 2020 में हो गई लेकिन अपनी मौत तक उन्होंने कॉनराड को खोजना बंद नहीं किया. आखिरकार कॉनरेड का पता चला लेकिन उससे पहले ही वो शातिर चोर और उसके बारे में जानने के लिए उत्सुक मार्शल के पिता, दोनों ही इस दुनिया को अलविदा कह चुके थे.
input:indiatimes