मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि बाढ़ बिजली घर देश की सबसे बड़ी बिजली परियोजना है। केंद्रीय मंत्री के रूप में 6 मार्च 1999 को इस परियोजना का शिलान्यास तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से कराया था। इसके लिए जमीन अधिग्रहण का काम तेजी से किया गया। शुरू में एक गांव के लोग यहां बिजली घर बनाने का विरोध कर रहे थे। प्राकृतिक पक्षी विज्ञान केंद्र ने भी वन एवं पर्यावरण मंत्रालय को रिपोर्ट भेज दी थी कि यहां पक्षी अभ्यारण्य है। तब तत्कालीन वन एवं पर्यावरण मंत्री टीआर बालू से मुलाकात कर इसका समाधान कराया।
कहा, तत्कालीन केंद्रीय ऊर्जा मंत्री रंगराजन कुमार अपने इलाके में रेल से संबंधित 5 कार्य कराने को मुझसे मिले थे। मैंने उनके काम कर दिए तो उन्होंने ही कहा कि हम आपके यहां थर्मल पावर प्लांट लगाना चाहते हैं। तब हमने उनसे कहा था कि पटना से 20 किलोमीटर आगे जाकर 100 किलोमीटर तक अपनी टीम भेजकर जहां उपयुक्त लगे जगह का चयन कर लीजिए। टीम के लोगों ने जगह देखने के बाद बाढ़ में पावर प्रोजेक्ट लगाना तय किया। 1998-99 में जगह का चयन हुआ। यहां 660 मेगावाट की 3 यूनिट लगाने का निर्णय हुआ। अब यह शुरू हो गया है। इसके लिए एनटीपीसी परिवार व विशेष तौर पर केंद्रीय मंत्री आरके सिंह को बधाई देता हूं। शुरू में कुछ लोगों ने अफवाह फैलायी कि पहले औरंगाबाद में बिजली घर बनाना त्था जिसे अब बाढ़ में बनाया जा रहा है। जब मैं रेल मंत्री था तो हमने औरंगाबाद में 1000 मेगावाट यूनिट का पावर स्टेशन बनाने का निर्णय लिया।
कहा, 2006 से बरौनी थर्मल पावर में 110 मेगावाट की दो यूनिट बंद थीं। इस पर काम शुरू किया तो इसकी एक इकाई वर्ष 2016 में कार्यरत हो गई। 250 मेगावाट की दो यूनिट बनाने का कार्य वर्ष 2012 में प्रारंभ किया गया। मुजफ्फरपुर के कांटी थर्मल पावर स्टेशन का काम 1978 में जार्ज फर्नांडिस द्वारा शुरू किया गया था। इसी तरह कांटी थर्मल पावर में 110 मेगावाट की दो यूनिट और 195 मेगावाट की दो यूनिट से बिजली उत्पादन शुरू है। मुख्यमंत्री ने बाढ़ व बरौनी थर्मल पावर स्टेशन का जायजा भी लिया।
Input: Daily Bihar