मुकाम : बचपन में दादा-दादी से हिंदू धर्म का ज्ञान लिया, अब खुद की पहचान बनाई, कनाडा में पली-बढ़ी सुषमा अमेरिका की पहली महिलापुरोहित बनीं, वेद-मंत्रोच्चार की शिक्षा प्रवासी दादी से ली, समलैंगिक शादी कराने वाली भी पहली पुरोहित
भारतवंशी सुषमा द्विवेदी वैवाहिक एवं धार्मिक अनुष्ठान करवाने वाली अमेरिका की पहली महिला पुजारी बन गई हैं। अमेरिका में अब तक ऐसे अनुष्ठान पुरुष पुजारी ही कराते आए हैं। सुषमा ने जब तय किया कि वह भी शादियों में फेरे और अन्य अनुष्ठान कराएंगी, तो उन्हें अपनी दादी से मंजूरी लेनी पड़ी। दादी ने कभी खुद काेई अनुष्ठान नहीं कराया, लेकिन उनके पास सुषमा को पुरोहित बनाने लायक ज्ञान था। दादी से जब सुषमा ने इस बारे में चर्चा की तो वह खुश हो गईं। सुषमा के मुताबिक, ‘हम दोनों बैठे और सारे ग्रंथों का अध्ययन किया। यही पौराणिक हिंदू व्यवस्था है कि आप अपना ज्ञान अगली पीढ़ी को देते हैं।’ द्विवेदी को हिंदू धर्म का ज्ञान भी अपने प्रवासी दादा-दादी से ही मिला था।
कनाडा में पली बढ़ी सुषमा के लिए दादा-दादी हिंदू धर्म का स्रोत रहे। उन्होंने मॉन्ट्रियल में हिंदू मंदिर बनवाने में अहम भूमिका निभाई। यह मंदिर द्विवेदी के बचपन का अहम केंद्र रहा। हिंदू धर्म में बहुत सारे दर्शन और विचार मानने वाले लोग हैं। सुषमा ने ऐसी पुरोहित बनने की तैयारी की जो जात-पात, लिंग, नस्ल या यौन रुझान से ऊपर उठकर आशीर्वाद अनुष्ठान कराए। उनकी कड़ी मेहनत और सोच का ही नतीजा है कि सुषमा अब अमेरिका की पहली ऐसी महिला पुरोहित भी बन गई हैं जो समलैंगिकों समेत सभी की शादी आदि करवा रही हैं।
महिला पुराेहित अब नेतृत्व की भूमिका में आ रही हैं
धर्म और उसकी परंपराओं का अध्ययन करने वाले कहते हैं कि भारत या विदेशों में भी महिला पुजारी बहुत कम हैं, लेकिन हिंदू धर्म में महिलाएं नेतृत्व की भूमिका में आ रही हैं। फ्लोरिडा यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर वसुधा नारायण कहती हैं कि अलग-अलग मंदिरों के बोर्ड अलग-अलग होते हैं।
Input: daily bihar