बिहार के जमुई जिले के खैरा प्रखंड अंतर्गत केवाल फरयिता गांव में एक शख्स दोनों पैरों से दिव्यांग हैं। दिव्यांग होने पर भी वे अपने गांव के 150 बच्चों को प्रतिदिन सुबह से शाम तक साइंस की जानकारी देकर शिक्षा की अलख जगा रहे हैं।
बदले में पढ़ रहे बच्चों से जो बन पाता है। बच्चों के द्वारा दिए गए राशि से अपने माता-पिता बहन और परिवार के लोगों का भरण-पोषण कर रहे हैं।
अजित Math से BsC ऑनर्स
दिव्यांग 30 वर्षीय अजित जो दोनों पैरों से दिव्यांग होने पर भी अपने परिवार को टूटने नहीं दिया। अजित BsC Math से ऑनर्स कर अपने गांव मे एक छोटे से कमरे में सुबह से लेकर शाम तक बच्चों को पढ़ाता है।
अजीत के पिता रणजीत सिंह बताते हैं कि जन्म के 6वें महीने में अजीत के पीठ में समस्या आने से डॉक्टर को दिखाया गया।जहां डॉक्टर के द्वारा ऑपरेशन किया गया।
अजीत घर का अकेला चिराग
ऑपरेशन के बाद अजीत के दोनों पैरों की वृद्धि रुक गया और इसका दोनों पैर खराब हो गया। माता-पिता ने लाचार बेटे की परवरिश की।
दोनों पैरों से लाचार बेटे को पढ़ा लिखाया और अपने दम पर बेटे को कई सारी परीक्षाएं भी दिलाई। लेकिन नौकरी नहीं मिल पाया। अजीत घर का अकेला चिराग है।
बच्चों को पढ़ा कर परिवार का भरण पोषण
नौकरी नहीं मिलने के कारण अपने माता पिता को टूटते और हिम्मत हारते देखकर अजीत ने गांव के बच्चे को सुबह से शाम तक पढ़ाना शुरू किया। 6 सालों से बच्चों को पढ़ा कर अपने परिवार का भरण पोषण कर रहा है।
अजीत बताते हैं कि मेरे दोनों पैर नही होने के बाद भी हम हौसला नही हारे। जब तक कोई रोजगार नही मिलता है।बच्चों को पढ़ते है। परिजन बताते हैं कि वह बहुत मेहनती है।
“अजीत सर बहुत अच्छा पढ़ाते है”
लोगो को इससे सीख लेंना चाहिए की दोनो पैर नही होने पर भी गरीब बच्चों को पढा कर अपने परिवार का भरण पोषण कर रहा है।
अजीत के पास पढ़ने आ रहे बच्चो ने बताया कि सर बहुत अच्छा पढ़ाते है। इनके द्वारा पढ़ाया गया हर एक वाक्या बहुत जल्द समझ मे आता जाता है। पढ़ाई के बदले जो दे दीजिये सर रख लेते हैं। कभी पैसे की डिमांड नही करते है।