हर क्षेत्र विशेष में कुछ विशेष कृषि उत्पाद होते हैं। इनका निर्यात किया जा सकता है। मखाना के बाद बिहार में बाजरा और केला अगले सुपर फूड हैं। एग्रीकल्चर एंड प्रोसेस्ड फूड प्रोडक्ट्स एक्सपोर्ट डेवलपमेंट अथारिटी (एपीडा) के सहायक महाप्रबंधक डाक्टर सी बी सिंह ने ये बातें मंगलवार को होटल पनाश में कहीं। इस कांक्लेव में ओडीओपी उत्पादों के निर्यात, निर्यात बाजार की पहचान, इस क्षेत्र में उपलब्ध वित्त, वैल्यू एडिशन और आय पर विमर्श किया गया।
पीएचडी चैंबर आफ कामर्स एंड इंडस्ट्री के बिहार कार्यालय की ओर से एपीडा और एचडीएफसी बैंक के सहयोग से आयोजित एग्री एंड फूड प्रोसेसर कांक्लेव में उन्होंने कहा कि बिहार से कृषि उत्पादों के निर्यात की काफी संभावनाएं हैं। इनके निर्यात के लिए हमें इंफ्रास्ट्रक्चर पर ध्यान देना होगा। मार्ग सुगम बनाना होगा। पैक हाउस के लिए दो करोड़ रुपये मिलते हैं। इसपर 75 प्रतिशत सब्सिडी है।
चंद्रगुप्त इंस्टीट्यूट आफ मैनेजमेंट के निदेशक प्रोफेसर डाक्टर राणा सिंह ने कहा कि पूरी तरह से डेटा पर भरोसा करने की बजाय शोध करना बेहतर साबित होता है। इन्वेस्ट इंडिया के ईशदीप सिंह ने बिहार के एक जिले एक उत्पाद पर प्रस्तुति दी और एफएसएसआइ प्रमाणीकरण, क्रेता-विक्रेता बैठक के महत्व के बारे में बताया। नाबार्ड के एजीएम बैद्यनाथ सिंह ने कहा कि कृषि उत्पादक संघ बनाकर किसान अपने उत्पादों को बाजार दे सकते हैं।
उत्पादन का 40 प्रतिशत रखरखाव के अभाव में होता बर्बाद
इरगास बिजनेस सोल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड की सप्लाई चेन के प्रमुख युगल किशोर मिश्रा ने कहा कि उत्पादन का 40 प्रतिशत अनाज रखरखाव के अभाव में बर्बाद हो जाता है। इसका समुचित प्रबंधन जरूरी है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के जनार्दन कुमार ने कृषि और खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में गुणवत्तापूर्ण बीज और प्रौद्योगिकी की आवश्यकता के बारे में बताया।
पीएचएचडी चैंबर के अध्यक्ष सत्यजीत सिंह ने कहा कि कृषि के क्षेत्र में निर्यात को बढ़ाने के लिए हर संभव कोशिश की जाएगी। चैंबर की कृषि व्यवसाय समिति के अध्यक्ष एन के अग्रवाल, एचडीएफसी बैंक के उपाध्यक्ष संदीप गौतम, ब्रजेश कुमार, नंदलाल, विकास कुमार ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया। पीएचडीसीसीआइ के निदेशक प्रणब ङ्क्षसह ने धन्यवाद ज्ञापन किया।