बिहार में बनने वाले शक्तिशाली रेल इंजन ने भारत को विश्वभर में दिलाई पहचान, Top-6 देशों में शामिल हुआ हिंदुस्तान

भारत को विश्वभर में अब शक्तिशाली इलेक्ट्रिक रेल इंजन निर्माण के लिए भी जाना जाएगा। बिहार के मधेपुरा जिले में स्थापित रेल इंजन कारखाना का बोर्ड के बनाए हुए रेल इंजन ने नया कीर्तिमान स्थापित किया है।

फ्रांस की एल्सटाम कंपनी और भारतीय रेलवे (Indian Railways) की संयुक्त साझेदारी में मधेपुरा विद्युत रेल इंजन कारखाना में बनाए गए इंजन ने देश को विश्व के छह एलीट देशों के ग्रुप में लाकर खड़ा कर दिया है।

अब भारत छठा ऐसा देश है, जो 12,000 हार्स पावर के इलेक्ट्रिक इंजन का इस्तेमाल करता है। भारत से पहले रूस, चीन, जर्मनी, स्वीडन व फ्रांस ही इतने शक्तिशाली रेल इंजन का इस्तेमाल कर रहे थे।

अगले 13 वर्षों में ऐसे 800 इंजनों का निर्माण किया जाना है। अब तक 250 इंजन तैयार कर भारतीय रेलवे को सौंपे जा चुके हैं। मधेपुरा निर्मित इंजन भारतीय रेलवे के ट्रैक पर लाखों किलोमीटर का सफर भी पूरा कर चुके हैं।

2018 में प्रधानमंत्री ने किया था उद्घाटन

देश के लिए पहली बार बनाए जा रहे शक्तिशाली रेल इंजन कारखाने की अहमियत को देखते हुए स्वयं पीएम नरेंद्र मोदी ने इसका उद्घाटन किया था। 10 अप्रैल, 2018 को पीएम ने इसे राष्ट्र को समर्पित किया था।

The engine made in the Madhepura Electric Locomotive Factory has brought the country into the group of six elite countries of the world.
मधेपुरा विद्युत रेल इंजन कारखाना में बनाए गए इंजन ने देश को विश्व के छह एलीट देशों के ग्रुप में लाकर खड़ा कर दिया है

पीएम ने ही यहां तैयार पहले इंजन को हरी झंडी भी दिखाई थी। 18 मई, 2020 को भारतीय रेलवे में मधेपुरा निर्मित नए इंजन को शामिल किया गया। इस इंजन का पहला इस्तेमाल मुगलसराय (पंडित दीन दयाल उपाध्याय) जंक्शन से लेकर शिवपुरी तक किया गया।

देश और भारतीय रेल के लिए यह इतनी बड़ी उपलब्धि थी कि खुद रेल मंत्री पीयूष गोयल ने ट्वीट कर व अन्य इंटरनेट मीडिया पर यह जानकारी साझा की थी।

छह हजार टन की ढुलाई क्षमता

मधेपुरा निर्मित इंजन से भारी वजनी मालगाडिय़ों को भी चलाया जा रहा है। इससे पहले के इंजन तीन हजार टन के वजनी वैगन को ही खींच पाते थे। ज्यादा वजनी वैगनों को चलाने के लिए दो इंजन लगाने होते थे।

मधेपुरा निर्मित 12 हजार हार्स पावर का एक ही इंजन छह हजार टन वजन के वैगनों को लेकर चल सकता है। इस शक्तिशाली इंजन से चलने वाली फ्रेट ट्रेन डेढ़ किलोमीटर लंबी होती है।

Bihars Madhepura has a capacity to manufacture 120 locomotives per year
बिहार के मधेपुरा में हर वर्ष 120 लोकोमोटिव का निर्माण करने की क्षमता

यह ट्रेन की औसत रफ्तार को भी पहले की ट्रेन से दोगुना कर रहा है। इससे पूर्व मालगाडिय़ों की औसत रफ्तार 25 से 30 किलोमीटर प्रति घंटे की थी।

अब इस इंजन के प्रयोग से मालगाडिय़ों की औसत रफ्तार 60 किलोमीटर प्रति घंटा हो गई है। मधेपुरा में बने इंजन की अधिकतम सीमा 120 किलोमीटर प्रति घंटे की है।

6 देश ही इतने शक्तिशाली रेल इंजन का इस्तेमाल कर रहे

मधेपुरा विद्युत रेल इंजन कारखाना के मुख्य प्रशासनिक पदाधिकारी सीएन सिंह ने कहा, ‘मधेपुरा रेल इंजन कारखाना में 12 हजार हार्स पावर के विद्युत रेल इंजन का निर्माण हो रहा है।

India is the 6th country to make such an engine
भारत इस तरह का इंजन बनाने वाला 6ठा देश

इससे पहले पांच देश ही इतने शक्तिशाली रेल इंजन का इस्तेमाल कर रहे थे। इतने शक्तिशाली रेल इंजन का इस्तेमाल करने वाले हम छठे देश हैं। इस इंजन की खासियत इसकी लोडिंग कैपिसिटी व स्पीड दोनों है।

दोनों ही मामले में यह अब तक इस्तेमाल किए जा रहे रेलवे इंजन से काफी अलग है। मार्च, 2023 तक 50 और इंजन रेलवे को सौंप दिए जाएंगे।’

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