बिहार में फर्जी महिला एएसपी और उसके देवर की हत्या मामले में बड़ा खुलासा, दूसरे पति की थी बेटी पर गंदी निगाहें

बिहार के मुंगेर जिले में हुए दोहरे हत्याकांड के बाद उस समय हड़कंप मच गया जब मृतक महिला की वर्दी पहने तस्वीरें उसके कमरे से बरामद हुई। स्वजन उसे दारोगा और एसएसपी बताने में लगे थे। बयान अलग-अलग थे। कहा जा रहा था कि मृतक भाभी गोपालगंज जिले में पदास्थापित है। तफ्तीश हुई तो मामले में बड़ा राजफाश हुआ। बुधवार को हुए दोहरे हत्याकांड का 24 घंटे के अंदर खुलासा कर लिया गया। मामले में एक की गिरफ्तारी हुई है और एक की तलाश जोरों से की जा रही है।

मुंगेर के नया रामनगर थाना क्षेत्र के कुंतपुर में देवर मनीष कुमार और भाभी राशि वायसी की हत्या में जो खुलासा हुआ है वो चौकाने वाला है। दोनों हत्याएं मनीष के भाई श्रवण और महिला के दूसरे पति शिवपूजन साह ने मिलकर की, ऐसी पुष्टि की गई है। पुलिस ने श्रवण को पूछताछ के बाद जेल भेज दिया और शिवपूजन की गिरफ्तारी के लिए छापेमारी की जा रही है। हत्या में प्रयुक्त हथियार की गिरफ्तारी नहीं हुई।

लोगों को फर्जी एएसपी बता किया जाता था गुमराह

एसपी जग्गुनाथ रेड्डी जलारेड्डी ने बताया कि महिला राशि वारसी अपने मौसेरे भाई शिवपूजन साह से दूसरी शादी की थी। मनीष, श्रवण और शिवपूजन राशि वारसी को एएसपी बताता था। पुलिस के साथ तस्वीर एडिट कर लोगों को गुमराह करता था। सचिवालाय, विधानसभा, होमगार्ड, बिहार पुलिस सहित अन्य विभाग में नौकरी दिलाने के नाम पर मोटी रकम की उगाही करते थे। हालांकि, ठगी का एक भी मामले की शिकायत नहीं मिली थी।

दूसरे पति की बेटी पर गंदी निगाहें-देवर ने किया था विरोध

दूसरे पति शिवपूजन की गलत नजर राशि की नाबालिग बेटी पर थी। 23 अगस्त की रात मनीष ने शिवपूजन को भतीजी के साथ गलत हरकत करते हुए देख लिया था और इसका विरोध करने लगा। इस बात को लेकर काफी विवाद हुआ। बेटी के साथ गलत नजर रखने पर राशि ने शिवपूजन का विरोध किया। किसी तरह मामला शांत हुआ। शिवपूजन ने मनीष के भाई श्रवण कुमार को 10 लाख का प्रलोभन देकर साथ में मिला लिया।

रात 12 बजे लिखी गई खूनी खेल की स्क्रिप्ट

पूछताछ में श्रवण ने बताया कि मामला शांत हो जाने के बाद मकान के ऊपरे तल्ले पर शिवपूजन को पंखा लगाकर सुला दिया। सभी के सो जाने के बाद दोनों की हत्या करने की योजना तैयार की गई। रात 12 बजे सभी लाेग नींद में सो गए तो शिवपूजन ऊपरी तल्ले से उतरा, श्रवण के साथ मिलकर पहले मनीष को कमरे से उठाया। जिस कमरे में फर्जी एएसपी का कार्यालय चल रहा था, वहां मनीष को ले गया और ललाट पर गोली मार दी। मनीष को गोली मारने के बाद दोनों ने राशि को भी कमरे में जाकर गोली मार दी।

एसपी ने बताया कि शिवपूजन ने दोनों को गोली मारी है। श्रवण कमरे के बाहर पहरेदारी कर रहा था। दोनों हत्या करने के बाद भागने के क्रम में शिवपूजन ने अपना मोबाइल घर पर ही छोड़ दिया। एसपी ने बताया कि श्रवण ने पूरे मामले में अपनी संलिप्तता स्वीकार की है। एसपी ने बताया कि एसडीपीओ सदर, सर्किल इंस्पेक्टर और नया रामनगर के थानाध्यक्ष को पूरे मामले का पर्दाफाश के लिए लगाया गया था। एफएसएल और जिला आसूचना की टीम भी लगी हुई थी। तकनीकी व वैज्ञानिक अनुसंधान के दौरान मामले का पर्दाफाश हुआ।

मास्टर माइंड के मोबाइल ने राह कर दी आसान

इस दोहरे हत्याकांड का मास्टर माइंड शिवपूजन साह है। हत्या के बाद हड़बड़ी में शिवपूजन ने मोबाइल छोड़ दी। जांच के क्रम में मिले मोबाइल और फर्जी कार्यालय से बरामद दस्तावेज से पुलिस को जांच करने में सहूलियत मिली और पूरे मामले का पर्दाफाश हो गया।

मध्य प्रदेश में राशि का पहला पति करता है काम

मृतक मनीष कुमार के पांच भाई हैं। मनोज कुमार, श्रवण कुमार, अरूण कुमार, और संतोष कुमार थे। मृतिका राशि वारसी का पति मनोज कुमार कई वर्षों से छोटे भाई संतोष कुमार के साथ मध्य प्रदेश स्थित किसी धागा कंपनी में काम करता है। पति के बाहर रहने के बाद राशि ने मौसेरे भाई से ही दूसरी शादी कर ली थी।

शिवपूजन की गिरफ्तारी के लिए छापेमारी

पुलिस अब शिवपूजन साह की गिरफ्तारी के लिए छापेमारी कर रही है। एसपी ने बताया कि शिवपूजन का दो पता मिला है, एक लखीसराय का है और दूसरा पश्चिम बंगाल का। पुलिस दोनों जगहों पर पता कर रही है। जल्द ही शिवपूजन भी गिरफ्त में होगा। पुलिस की ओर से पूरी जानकारी एकत्र की जा रही है। गुप्त रूप से जांच की जा रही है।

चल रहा था फर्जी एएसपी का कार्यालय, भनक तक नहीं

पुलिसिया जांच में यह बात सामने आया है कि लोगों को नौकरी दिलाने के नाम पर दोनों देवर और शिवपूजन साह महिला राशि वारसी को एएसपी बताता था। बकायदा घर के एक कमरे में फर्जी कार्यालय भी खोल रखा था। घर के बाहर एएसपी का नेम प्लेट भी लगा हुआ था। वर्षों से चल रहे ठगी के इस गोरखधंधे की जानकारी न ग्रामीणों को लगी और न ही नया रामनगर थाना को। थाना से महिला का घर पांच से छह सौ मीटर की दूरी पर है। इसके बाद भी किसी को गलत धंधे का पता नहीं चल सका। कार्यालय में संबंधित लोगों को नौकरी के नाम पर ठगा जाता था, मोटी रकम ली जाती थी।

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