यह वर्तमान डिप्टी CM तेजस्वी यादव का चुनावी इलाका है। नाव पर सवार होकर करीब 80 बच्चे रोज वैशाली से पटना आते हैं। पूछने पर कहते हैं – डर के आगे जीत है।
खतरे के निशान पर बहती गंगा के बीच नाव पर सवार होकर करीब 80 बच्चे रोज वैशाली से पटना आते हैं। वजह कि उन्हें प्राइवेट स्कूल में अच्छी पढ़ाई करनी है। बच्चे बाढ़ के पानी से उफनती गंगा के बीच से गुजरते डर भी नहीं लगता। पूछने पर कहते हैं – डर के आगे जीत है।
यह जज्बा वैशाली के राघोपुर प्रखंड के बच्चों में हर रोज दिखाई दे रहा है। यहां के मल्लिकपुर, रुस्तमपुर एवं अन्य पंचायतों के करीब 80 नन्हें बच्चे हर दिन बेहतर शिक्षा के लिए गंगा नदी पार कर पटना जिला के बंका घाट, जेठुली घाट के इलाके में पढ़ने जाते हैं।
राघोपुर के बारे में बताने की जरूरत नहीं है कि यह वर्तमान डिप्टी CM तेजस्वी यादव का चुनावी इलाका है। यह सवाल अलग है कि यहां अभी तक वैसी सुविधाएं विकसित नहीं हो सकी हैं कि इन नन्हें-मुन्हों को जान जोखिम में न डालनी पड़े।
कुछ ऐसा होता है यह खतरों का सफर
पटना के स्कूल के शिक्षक रमेश कुमार बताते हैं कि यह हर साल की बात है। बारिश के मौसम में जब पीपापुल खुल जाता है, तब यह दिक्कत होती है। इसके बाद तीन महीने नाव से ही बच्चों को पढ़ाई के लिए लाया और ले जाया जाता है।
बाढ़ के इस मौसम में नदी की चौड़ाई करीब एक किलोमीटर की हो जाती है। आम दिनों में आधा किलोमीटर रहती है, जो पार करने के लिए पीपा पुल का सहारा लिया जाता है।
हालांकि, तेज हवा या खराब मौसम में बच्चों की सुरक्षा के लिए नाव पर न तो कोई लाइफ जैकेट है, ना कोई अन्य सुरक्षा उपकरण। इस बारे में बात करने पर नाव पर मौजूद कोई शख्स कहता है, ‘कोई दूसरा उपाय ही नहीं है, क्या करें।’
प्रशासन की नजर में यह सामान्य बात
रुस्तमपुर ओपी अध्यक्ष शुभ नारायण यादव बताते हैं कि पिछले 23 वर्षों से यह सिलसिला चलता रहा है। पटना की ओर के स्कूल संचालक के द्वारा अपनी नाव से स्कूली बच्चों को लाया और ले जाया जाता है। स्कूल वाले ही बच्चों को घर तक छोड़ते हैं।
उन्होंने कहा कि जब गंगा नदी में पानी बढ़ता है तो पीपा पुल खोल दिया जाता है। इसके बाद नाव का इस्तेमाल केवल स्कूली छात्रों के लिए किया जाता है।