धूल से सने घर, टूटे कांच और 80,000 टन मलबा, Twin Tower के गिरने के बाद कैसा है आसपास का नजारा?

महीनों की मेहनत और कई बार प्लान असफल होने के बाद आखिरकार 28 अगस्त को नोएडा के सुपरटेक ट्विन टावर को जमींदोज कर दिया गया. मात्र 12 सेकंड के अंदर दोनों टॉवर ऐसे ढह गए जैसे मानों ताश के पत्तों का महल हो. इसके बाद धूल के गुबारे से आसपास हर तरफ अंधेरा छा गया. अब देखने वाली बात ये है कि इस धमाके से आसपास की बिल्डिंगों और वहां रहने वाले लोगों पर इस ब्लास्ट का क्या असर पड़ा है. 

धूल में सना पूरा इलाका

Twin Towers Indian Express

ब्लास्ट के बाद उठे धुएं के गुबार के कम होने के बाद पाया गया कि 103 मीटर ऊंचे 32 मंजिला ये दोनों इमारतें मलबे का ढेर बन चुकी हैं. मलबे का ये ढेर भी 50 से 60 फीट ऊंचा था. वहीं टॉवर के आसपास की बिल्डिंग्स और कॉलोनियों में धूल की मोटी परत जम चुकी है. इमारतों पर लटके हुए पर्दे सीमेंट की चादरों की तरह नजर आ रहे हैं.

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इस बड़े धमाके के कारण आसपास की कुछ इमारतों में भी नुकसान हुआ है. एमराल्ड कोर्ट और एटीएस के कुछ फ्लैटों के शीशे टूटे हैं तो वहीं एटीएस की 10 मीटर की चारदीवारी के गिरने की बात भी कही जा रही है.

घरों में लौटने लगे लोग

Twin Towers Twitter

बताया जा रहा है कि ट्विन टावर गिराए जाने के बाद अब लोग अपने घर लौटने लगे हैं. ब्लास्ट के कारण एहतियातन इन्हें पहले ही खाली करवा दिया गया था. घरों  में धूल की मोटी परत जमने और खिड़कियों के कांच टूटने के अलावा लोगों के घरों में ज्यादा नुकसान नहीं हुआ है. बिल्कुल पास की सोसायटी को खाली करवा लिया गया था और उन्हें कपड़े से ढक दिया गया था.

लग गया मलबे का ढेर

Twin Towers Twitter

रविवार दोपहर धराशायी हुए सुपरटेक ट्विन टावर में ब्लास्ट के बाद 80,000 टन मलबा निकला है. वहीं धूल के विशाल गुबार के कारण सेक्टर-93 ए से सटे इलाकों में एयर क्वालिटी में खास बदलाव दर्ज नहीं किया गया. प्राधिकरण ने एक ट्वीट में बताया कि, ”आंकड़ों से स्पष्ट है कि टावर के धराशायी होने के बाद भी, एक्यूआई और पीएम 10 का स्तर अनुमानित सीमा के भीतर रहा है.”

12 सैकेंड के लिए 8 महीने की तैयारी

Twin Towers Twitter

ट्विन टावर को गिराने वाली कंपनी एडिफिस के सीईओ उत्कर्ष मेहता के मुताबिक इस टॉवर को ध्वस्त होने में 12 सेकेंड का समय लगा मगर इस 12 सेकंड के लिए हम 8 महीने से तैयारी कर रहे थे. उन्होंने बताया कि 8 महीने में 2 महीना हमने डिजाइन में और 6 महीना ऑन साइट तैयारी करते हुए लगाए हैं.

Twin Towers Twitter

उन्होंने बताया कि इससे पहले दुनिया में 100 मीटर से बड़े जो भी स्ट्रक्चर गिरे हैं वो काफी जगह लेकर गिरे हैं, जबकि अगर इसे देखेंगे तो गैस पाइपलाइन से लेकर कई दिक्कतों के बावजूद ये स्ट्रक्चर अपने पैरामीटर में गिरा है. एमरल्ड साइट को छुआ भी नहीं. जो कंटेनर लगा उसपर भी ज्यादा मलबा नहीं गया सिर्फ एटीएस में 8-10 मीटर में एक पोर्शन पर इम्पैक्ट हुआ है. इसके लिए हम लोग खुश हैं.

बता दें कि 3700 किलो विस्फोटक के साथ ब्लास्ट किए गए इस ट्विन टावर को 300 करोड़ की लागत से बनाया गया था. वहीं आज की तारीख में इनकी कीमत करीब 800 करोड़ रुपए तक पहुंच गई थी.

Share This Article.....

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *