पुराने पोखर और जलस्रोतों के सूखने तथा नदियों में लगातार शिकार के कारण लुप्त हो रही राजकीय मछली मांगुर का राज लौटने वाला है। कम पानी, कीचड़ और नमी वाली मिट्टी की मांद में बाहरी ऑक्सीजन पर जिंदा रहने वाली ये मछली गंगा, बूढ़ी गंडक और गंडक में फिर से दिखेगी।
पुराने पोखर और जलस्रोतों के सूखने तथा नदियों में लगातार शिकार के कारण लुप्त हो रही राजकीय मछली मांगुर का राज लौटने वाला है।
कम पानी, कीचड़ और नमी वाली मिट्टी की मांद में बाहरी ऑक्सीजन पर जिंदा रहने वाली ये मछली गंगा, बूढ़ी गंडक और गंडक में फिर से दिखेगी।
वहीं गप्पी, प्लेटो, गोल्डफिश जैसी मछलियां ड्राइंगरूम के एक्वेरियम ही नहीं, अब आंगन की शोभा और घर की आमदनी का साधन भी बनेंगी।
थाली में होगी हर मर्ज की दवा
बिहार में 2008 में मांगुर राजकीय मछली घोषित की गयी थी। वायुश्वासी प्रजाति की यह मछली औषधीय गुणों से भरपूर है। सरकार का मानना है कि मांगुर थाली में उपलब्ध होगी, तो टीबी के मरीज को प्रचूर प्रोटीन मिलेगा।
बिहारियों का कोलेस्ट्रॉल नियंत्रित होगा। दिल, उच्च रक्तचाप और कैंसर जैसी बीमारी से लड़ने की शक्ति भी मिलेगी। मत्स्य अनुसंधान संस्थान के संयुक्त निदेशक देवेंद्र नायक बताते हैं कि राजकीय मछली मांगुर विलुप्त होने की कगार पर है।
इसके संरक्षित और विस्तार देने के लिए हैचरी का निर्माण प्रस्तावित है। मांगुर का बीज गंगा, बूढ़ी गंडक और गंडक नदी में छोड़ा जायेगा।
लोगों की आर्थिक स्थिति मजबूत करने कोशिश
रंगीन मछलियां के जरिये बिहारियों की आर्थिक स्थिति को भी मजबूत करने की दिशा में सरकार काम कर रही है। “समग्र अलंकारी मात्स्यिकी योजना’ के जरिये रंगीन मछलियों के कारोबार को बढ़ावा दिया जायेगा।
शहरों-कस्बों में दिनों-दिन रंगीन मछलियों को एक्वेरियम में रखने के बढ़ते प्रचलन को व्यवसाय के अवसर में बदलने के लिए सभी जिलों को टाॅस्क सौंप दिया गया है।
रंगीन मछलियों की मांग
मानसिक शान्ति- वास्तु दोष निवारण आदि कारणों से गोल्ड फिश जैसी सजावटी मछलियों की मांग लगातार बढ़ रही है। पशुपालन एवं मत्स्य संसाधन विभाग के सचिव डा. एन सरवण कुमार बताते हैं कि बिहार में अलंकारी (सजावटी) मछली की मांग बहुत है।
करीब पांच करोड़ रुपये का कारोबार होता है। तमाम रंगीन मछलियां दूसरे राज्यों से मंगाई जा रही हैं। ऐसी मछलियां कोलकाता से सबसे अधिक आती हैं।
घर के आंगन में पलेंगी मछलियां
रंगीन मछलियों का सभी जिलों में उत्पादन शुरू कराया जायेगा। सरकार की योजना के मुताबिक महिलाएं अपने आंगन में भी कम पूंजी लगा कर इनका उत्पादन शुरू कर सकेंगी।
मत्स्य निदेशालय इनके पालन और एक्वेरियम बनाने की तकनीकी जानकारी मुहैया करायेगा। अलंकारी मछलियों के छोटे-छोटे तालाब के साथ- साथ सीमेंट टैंक में भी पाला जा सकता है।
सामान्य वर्गके मछली पालक को 50, तो ओबीसी, एससी- एसटी वर्गके मछलीपालक को 70 फीसदी अनुदान दिया जायेगा।
मुफ्त में प्रशिक्षण दे रही सरकार
मत्स्य किसान, मछुआरे, मछली व्यवसायी आदि को सरकार नि:शुल्क प्रशिक्षण दे रही है। प्रशिक्षण मत्स्य प्रशिक्षण और प्रसार केंद्र, मीठापुर पटना, आइसीएआर पटना, ढोली(मुजफ्फरपुर) और किशनगंज स्थित कॉलेज ऑफ़ फिशरीज में दिया जायेगा। आवेदन आनलाइन करना होगा।