CM नीतीश का दावा फेल, बिजली के लिए परेशान हो रहे बिहारवासी, शहर से लेकर गांव-देहात में हालत बदतर

कोयला संकट : खुले बाजार से अधिकतम दर पर बिजली की हो रही खरीदारी, अर्धशहरी व ग्रामीण इलाकों में जमकर हो रही लोड शेडिंग, बिहार को दी जा रही भरपूर बिजली : एनटीपीसी देशव्यापी कोयले संकट का असर बिहार की बिजली आपूर्ति व्यवस्था पर हो रहा है। खपत की तुलना में बिहार को केंद्रीय सेक्टर से लगभग आधी बिजली मिल रही है। खुले बाजार से बिहार अभी 1000 मेगावाट तक महंगी बिजली की खरीदारी कर रहा है, लेकिन यह नाकाफी साबित हो रहा है। इस कारण राज्य के शहरी क्षेत्र में बिजली आपूर्ति तो लगभग ठीक है लेकिन अर्धशहरी व ग्रामीण इलाके में सात से 10 घंटे तक की लोड शेडिंग हो रही है। स्थिति सामान्य होने में एक-दो दिनों का अभी समय लग सकता है। किल्लत को देखते हुए बिहार ने केंद्र सरकार से कोटा बढ़ाने का भी अनुरोध किया है।

 

बिजली कंपनी द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, एनटीपीसी से बिहार को 4500 मेगावाट बिजली मिलनी है। लेकिन अभी 3000 मेगावाट तक ही बिजली मिल रही है। करार के तहत बिहार को दो निजी कंपनियों से 688 मेगावाट तक बिजली मिलनी है लेकिन इसमें से 347 मेगावाट बिजली ही मिल रही है। पवन ऊर्जा में 580 मेगावाट के बदले 100 मेगावाट ही बिजली मिल रही है। इस कारण बिहार खुले बाजार से महंगी बिजली खरीद रहा है। हालांकि, खुले बाजार से भी बिहार को पर्याप्त बिजली नहीं मिल रही है। बिहार अगर 1000 मेगावाट की बोली लगाता है तो उसे 250 मेगावाट ही बिजली मिल रही है। यह बिजली भी खरीद दर की अधिकतम सीमा 20 रुपए प्रति यूनिट की दर से मिल रही है। कंपनी हर रोज अधिकतम बोली लगाकर बिजली खरीदने की कोशिश कर रही है। कंपनी की कोशिश है कि दिन में भले ही बिजली संकट हो लेकिन पर्व-त्योहार के इस मौसम में रात में अधिक से अधिक बिजली आपूर्ति हो।

 

जिलों में त्राहिमाम की स्थिति : कम बिजली मिलने से पटना को छोड़ दें तो जिलों में बिजली की स्थिति विकट है। इस कारण अर्धशहरी इलाकों से लेकर ग्रामीण इलाकों में जमकर लोडशेडिंग हो रही है। सहरसा को 50 की जगह 30 मेगावाट बिजली मिल रही है। मधेपुरा को 100 मेगावाट के बदले 70 मेगावाट बिजली मिल रही है। अररिया को 120 मेगावाट के बदले 100 मेगावाट, कटिहार को 90 के बदले 80 मेगावाट, किशनगंज को 60 के बदले मात्र 20 मेगावाट, पूर्णिया को 150 मेगावाट के बदले 100 मेगावाट, लखीसराय को 24 मेगावाट के बदले 19 मेगावाट बिजली मिल रही है। इसी तरह खगड़िया को 40 मेगावाट के बदले 12 से 20 मेगावाट, मुंगेर को 90 मेगावाट के बदले 60 मेगावाट, बांका को 100 मेगावाट के बदले 70 मेगावाट बिजली मिल रही है। मुजफ्फरपुर को मात्र 70 मेगावाट बिजली मिली, जिससे दोनों ग्रिड को रोटेशन के आधार पर चलाया गया। वैशाली, सारण, औरंगाबाद, गया, जहानाबाद, भोजपुर, बक्सर सहित राज्य के अन्य जिलों का भी कमोबेश यही हाल है।

 

input:daily bihar

Share This Article.....

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *