इंडिया ‘इन-स्पेस’: देश के हर गांव में पहुंचेगा इंटरनेट, तैयार होगी हाई स्पीड इंटरनेट की नई दुनिया

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इंडियन स्पेस एसोसिएशन (आईएसपीए) की लॉन्चिंग के साथ ही भारत में अमेरिका की तर्ज पर वैश्विक और घरेलू स्तर की निजी क्षेत्र की स्पेस कंपनियां भारतीय अंतरिक्ष परिक्षेत्र से जुड़ेंगी।

 

इसका सबसे अधिक लाभ अंतरिक्ष आधारित कम्युनिकेशन (दूरसंचार) नेटवर्क को बेहतर करने में होगा।

 

स्पेस सैटेलाइट कम्युनिकेशन से हाई स्पीड वाली इंटरनेट की नई दुनिया बनेगी। आईएसपीए इंडस्ट्री, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो), भारती एयरटेल, वन वेब, टाटा ग्रुप की नेल्को, लॉसर्न एंड टूब्रो, मैप माई इंडिया समेत अन्य कंपनियों की भारतीय अंतरिक्ष की दुनिया में भागीदारी बढ़ेगी।

 

अंतरिक्ष आधारित दूरसंचार नेटवर्क का विकास…अंतरिक्ष की दुनिया में निजी क्षेत्र की कंपनियां भी आगे आ रही हैं। भारत समेत कई विदेशी कंपनियां सैटेलाइट कम्युनिकेशन (उपग्रह दूरसंचार) को अंतरिक्ष की दुनिया की नई क्रांति मान रही है।इसमें स्पेस-एक्स, स्टार लिंक, सुनील भारती मित्तल की कंपनी वन वेब, अमेजन का प्रोजेक्ट कुइपर, अमेरिकी सैटेलाइट निर्माता ह्यूजस कम्युनिकेशन इत्यादि शामिल हैं।

 

सैटेलाइट इंटरनेट क्यों जरूरी है?

 

सैटेलाइट इंटरनेट से पिछड़े या ग्रामीण क्षेत्रों को इस आधुनिक तकनीक से जोड़ा जा सकेगा। खासकर ऐसे क्षेत्रों में या लोगों के पास इंटरनेट पहुंचेगा जहां इंटरनेट और नेटवर्क सिर्फ सपना है। दुनिया के हर इंसान के पास इंटरनेट होगा।

 

सैटेलाइट इंटरनेट का दायरा सीमित

 

सैटेलाइट इंटरनेट का दायरा आज के दौर में सीमित है। कुछ कॉरपोरेट घराने और बड़े संस्थान आपातकाल स्थिति में सैटेलाइट इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं। यह नई क्रांति है।इंडियन नेशनल स्पेस प्रोमोशन एंड ऑथराइजेशन (इन-स्पेस) का कहना है कि अभी हर साल 4-5 रॉकेट का प्रक्षेपण हो रहा है। आने वाले समय में इसे तीन गुना करने की तैयारी है।

 

भारत में सैटेलाइट संचार उपभोक्ता सबसे कम

 

अमेरिका में सैटेलाइट संचार का इस्तेमाल करने वालों की संख्या 45 लाख है।यूरोपीय संघ में ये आंकड़ा 21 लाख है।भारत में उपग्रह संचार का उपभोग करने वाले उपभोक्ताओं की संख्या सबसे कम महज तीन लाख है।उम्मीद है कि आने वाले समय में ये आंकड़ा तेजी से बढ़ेगा। भारत दुनिया के दूसरे देशों के बराबर होगा।

 

तैयारी…हाई स्पीड कनेक्टिविटी कीवन वेब अभी लो अर्थ ऑरबिट वाले 648 सैटेलाइट का तारामंडल बनाने की तैयारी में है। उसने 322 उपग्रह पहले ही ऑरबिट में छोड़ दिए हैं।उम्मीद है इसकी सेवाएं आर्कटिक क्षेत्र के साथ अलास्का, कनाडा और ब्रिटेन में वर्ष 2022 के अंत तक मिलने लगेंगी।

भारत सरकार से इन कंपनियों की बात जारी…स्टार लिंक और अमेजन की भी भारत सरकार से बात चल रही है।स्पेस-एक्स की योजना है कि वो 12 हजार सैटेलाइट का नेटवर्क स्थापित करे। इसमें से वो 1300 सैटेलाइट को पहले ही अंतरिक्ष में स्थापित कर चुका है।

 

input:अमर उजाला

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