कहते हैं कि दान से बड़ा कोई धर्म नहीं होता. फिर वो दान किसी भी चीज़ का क्यों ना हो. लेकिन दान की महत्ता तब और बढ़ जाती है जब दान अंगों का किया गया हो. जिस अंगदान से लोगों को नया जीवन मिला हो. गुजरात के सूरत शहर में महज़ 14 साल के बच्चे के अंगदान से 6 अन्य लोगों को नया जीवनदान मिला है.
सूरत के दसवीं कक्षा में पढ़ने वाले 14 वर्षीय छात्र धार्मिक काकड़िया की है. धार्मिक काकड़िया अब सिर्फ़ तस्वीरों में ही सिमट कर रह गया है. 14 वर्षीय छात्र धार्मिक काकड़िया की गत 27 अक्टूबर को अचानक तबीयत ख़राब हुई तो उसके माता-पिता इलाज के लिए सूरत के किरन हॉस्पिटल में लेकर गए. यहां की डॉक्टर टीम में जांच पड़ताल करने के बार धार्मिक को ब्रेन डेड घोषित कर दिया था. धार्मिक काकड़िया के ब्रेनडेड होने की जानकारी जब सूरत की डोनेट लाइफ़ संस्था को लगी तो उनकी टीम के लोग किरन अस्पताल पहुंचे. उन्होंने धार्मिक के परिवार को अंगदान करने के लिए समझाया.
अंगदान का महत्व समझ कर धार्मिक के माता-पिता अंगदान के लिए तैयार हो गए और बेटे का अंगदान किया. ब्रेन डेड छात्र धार्मिक काकड़िया के हार्ट, फेफड़े, नेत्र, लीवर और दोनों हाथ के दान से 6 जरूरतमंद लोगों को नया जीवनदान मिला है. सूरत शहर से दान में मिले हार्ट , फेफड़े और दोनों हाथों को समय से चेन्नई , अहमदाबाद और मुंबई पहुंचाने के लिए तीन अलग- अलग ग्रीन कोरिडोर बनाए गए थे.
सूरत की किरन हॉस्पिटल से मुंबई की ग्लोबल हॉस्पिटल तक का 292 किलोमीटर का सफ़र 105 मिनट में तय कर पूना के निवासी 32 वर्षीय व्यक्ति के शरीर में दोनों हाथ ट्रांसप्लांट किए गए. वहीं हार्ट का ट्रांसप्लांट जूनागढ़ के निवासी 15 वर्षीय 11 वीं कक्षा में पढ़ने वाले छात्र के शरीर में अहमदाबाद की सीम्स हॉस्पिटल में किया गया, जबकि फेफड़े का ट्रांसप्लांट आंध्र प्रदेश के रहने वाले 44 वर्षीय व्यक्ति के शरीर में चेन्नई की एमजीएम हॉस्पिटल में किया गया. इसी तरह लीवर का ट्रांसप्लांट गुजरात के पाटण निवासी 35 वर्षीय व्यक्ति के शरीर में अहमदाबाद की जायडस हॉस्पिटल में किया गया है. ब्रेनडेड 14 वर्षीय धार्मिक काकड़िया की आंखो का ट्रांसप्लांट सूरत की किरन हॉस्पिटल में ही ज़रूरतमंद व्यक्ति के शरीर में किया गया.
सूरत के रहने वाले अजय भाई काकड़िया सूरत की एक डायमंड कम्पनी में मैनेजर के तौर पर काम करते है. अजय भाई काकड़िया उनकी पत्नी ललिता बेन के एक बेटा और बेटी थे. 14 वर्षीय पुत्र धार्मिक काकड़िया पिछले पांच साल से किडनी की बीमारी से ग्रस्त था. धार्मिक को पिछले एक साल से हफ्ते में तीन बार डायलिसिस करवाना पड़ता था. धार्मिक काकड़िया की किडनी ख़राब थी तो उसके ख़ुद के लिए किडनी दान में लेने में लिए प्रक्रिया चल ही रही थी कि इसी बीच 27 अक्टूबर के दिन धार्मिक का ब्लड प्रेशर बढ़ गया था. इसके चलते तबियत ख़राब हुई और उसे सूरत की किरन अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती करवाया गया था. यहां उसे ब्रेनडेड घोषित कर दिया गया था.
ब्रेनडेड धार्मिक काकड़िया के परिवार को अंग फेलियर के दर्द का एहसास था, शायद इसलिए उन्होंने धार्मिक के अंगों का दान करने का फ़ैसला किया. नीलेश मांडलेवाला ने बताया कि देश में सबसे पहले 2015 में कोच्चि के अमृता हॉस्पिटल में हाथ का ट्रांसप्लांट हुआ था. धार्मिक के जरिए सूरत की डोनेट लाइफ संस्था द्वारा 19 वें हाथ का ट्रांसप्लांट किया गया है. ये सबसे कम उम्र वाले बच्चे के हाथों का ट्रांसप्लांट है.
Input: Daily Bihar