बिहार में डिजिटल तरीके से लापता बच्चों को खोज रही सरकार, सैकड़ो बच्चो को मिल चूका है उनका परिवार- बिहार के समाज कल्याण विभाग वर्षो से लापता बच्चों के उनके माँ बाप से मिलाने का काम कर रही है । इसी कड़ी में बिहार सरकार द्वारा लापता हुए बच्चो के फिंगर प्रिंट डाटा के जरिये उनके परिवार का पता लगाया जा रहा है ।
अपने गुम हुए बच्चो की तलाश में न जाने लोग कहा कहा चक्कर लगते हैं । लेकिन ख़ुशी का एहसास तब होता है, जब वर्षो के बाद कोई बच्चा अपने माँ बाप को पुनः वापस मिल जाता है । बिहार सरकार के समाज कल्याण विभाग की पहल से गुम हो चुके बच्चों को खोज कर स्वजनों तक पहुंचाया जा रहा है। डिजिटल तकनीक से अब तक 100 बच्चों को उनका खोया परिवार मिल चुका है।
लापता बच्चो को आश्रय गृह में रहने और भरण पोषण की व्यवस्था सरकार द्वारा कराइ जाती है । बिहार में कई ऐसे एनजीओ हैं जो लापता हुए बच्चो को ढूंढ कर उसे आश्रय गृह में पहुँचती है । इसी हफ्ते की बात करें तो ऐसे आठ बच्चों के परिवार की पहचान हो चुकी है ।
समाज कल्याण विभाग आश्रय गृह में रहने वाले बच्चों के लिए आधार कार्ड बनाए जाने की व्यवस्था कर रखी है। आधार कार्ड बनाए जाने के क्रम में जब बच्चों की अंगुलियों का स्कैन किया जाता है, तो यदि बच्चे का पहले से आधार कार्ड बना हुआ है, और इसका पता चल जाता है और साथ ही यह भी पता लगा लिया जाता है की इसके माता पिता कौन हैं और उसका घर कहा है ।
आधार कार्ड में सेव डाटा के आधार पर उक्त बच्चे का पता-ठिकाना मालूम हो जाता है। कई आधार कार्ड ऐसे भी मिलते हैैं जिस पर मोबाइल नंबर भी होता है जिसके द्वारा उनके स्वजनों से संपर्क किया जाता है ।
आश्रय गृह मे रह रहे बच्चों का पता मिल जाने पर वहां के स्थानीय अधिकारी को आधार कार्ड पर मौजूद पते पर भेजा जाता है। वहां से अधिकारी की मौजूदगी में बच्चे के मां-बाप से वीडियो कॉल के द्वारा बच्चे से बात करायी जाती है। जसके बाद अभिभावक को आश्रय गृह बुलाकर बच्चे को उन्हें सौंप दिया जाता है।
Input: Daily Bihar