दिवाली के दो दिन बाद, भाई दूज का पर्व मनाया जाता है. इसी दिन कायस्थ समुदाय अपने इष्ट देव भगवान चित्रगु्प्त की पूजा करते हैं. साथ ही, कलम-दवात और बहीखातों की भी पूजा की आज परंपरा है. माना जाता है कि चित्रगुप्त भगवान यमराज के सहयोगी हैं और सभी प्राणियों के कर्मों का लेखा-जोखा रखते हैं. प्रभु चित्रगुप्त ही हैं, जो हमारे अच्छे-बुरे कर्मों का हिसाब रख हमारे लिए स्वर्ग और नर्क का फैसला लेते हैं. जानते हैं क्या है कलम-दवात पूजा का मुहूर्त और विधि…
यह है पूजा का शुभ मुहूर्त
हिंदी पंचांग के अनुसार चित्रगुप्त की पूजा शनिवार के दिन की जानी है. यह पूजा कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष में द्वितीय तिथि पर होता है और यह तिथि 5 नवंबर रात 11.15 से शुरू होकर 6 नवंबर शाम को 7.44 तक रहेगी. ऐसे में चित्रगुप्त पूजा का शुभ मुहूर्त दोपहर 1.15 मिनट से शुरू हो रहा है और दोपहर 3.25 मिनट तक चलेगा.
जानें क्या है विधि
भगवान चित्रगुप्त पूजन के लिए प्रातः काल ही स्नान कर लें. फिर, चौकी पर लाल रंग का आसन बिछाएं और चित्रगुप्त जी की तस्वीर रख लें. इसी के साथ कलश स्थापना करें. भगवान चित्रगुप्त के पास अपनी कलम और दवात रखें.
सालाना आय लिखकर चित्रगुप्त जी को करें अर्पित
पूजा की शुरुआत कर अक्षत, सिन्दूर, पुष्प, धूप-दीप और मिष्ठान भगवान को अर्पित करें. इसके बाद कलम–दवात पर मौली बांधें और रोली-अक्षत अर्पण करें. सफेद कागज पर रोली से स्वास्तिक बनाएं और इष्ट देव का नाम लिखें. भक्त कागज में खील बताशे रख, इसपर अपनी सालाना आय भी लिखकर चित्रगुप्त जी को अर्पित करते हैं. इसके बाद भगवान चित्रगुप्त की स्तुति और आरती करें.
भगवान देते हैं यह आशीर्वाद
माना जाता है कि इस पूजा से भगवान श्री चित्रगुप्त खुश होते हैं और भक्तों को आशीर्वाद प्रदान करते हैं कि उन्हें कभी नर्क के कष्ट न भोगने पड़ें.
Input: Zee News