अदम्य जज्बे की पहचान है दीपमाला- परचून की दुकान पर पढ़ते-पढ़ते अब डॉक्टर बनेगी बिटिया

Patna : परचून की दुकान पर मां की मदद करते हुये, घर में हाथ बंटाते हुये भी दीपमाला ने कभी अपना हौसला नहीं कम होने दिया। दीपमाला ने एमबीबीएस डॉक्टर बनने का सपना देखा था और अपने सपने को पूरा करने के लिये वो वक्त और हालात से लगातार लड़ती रही। दो-दो बार नीट क्वालिफाई तो किया लेकिन एडमिशन नहीं लिया, क्योंकि उसे एमबीबीएस नहीं मिल रहा था।

 

 

 

पूरे समाज ने दबाव बनाया। परिवार ने भी दबाव बनाया। आर्थिक स्थिति का हवाला दिया गया, लेकिन दीपमाला अपने सपने को लेकर अड़ी रही और माता पिता ने भी भरपूर साथ दिया। तीसरे प्रयास में सफल होकर, एमबीबीएस में एडमिशन की योग्यता पाकर आज दीपमाला ने पूरे समाज को गलत साबित कर दिया है।

उसने यह भी साबित कर दिया है कि अगर सपनों को हासिल करने का हौसला हो तो बड़ी से बड़ी मंजिल भी आसान हो जाती है। कोई आर्थिक बाधा रास्ता रोक नहीं पाती।

 

दीपमाला अपनी मां के साथ सड़क किनारे परचून की दुकान चलाती हैं। दुकान से एमबीबीएस तक का उनका सफर काफी उतार-चढ़ाव भरा रहा है। दो बार नीट पास करने के बाद भी जब उन्हें एमबीबीएस नहीं मिला तो उन्होंने एडमिशन नहीं लिया। वह अपने लक्ष्य से विचलित नहीं हुई। अब इस बार उन्होंने अपना सपना पूरा किया है। उसे 720 में से 626 अंक मिले हैं।

बगहा जिले के वाल्मीकिनगर की रहने वाली दीपमाला अत्यंत साधारण परिवार से आती हैं। पहली बार 2019 में उन्होंने नीट क्वालिफाई किया था, उन्हें कम रैंक के कारण पटना आयुर्वेदिक कॉलेज में बीएएमएस (बैचलर ऑफ आयुर्वेद, मेडिसिन एंड सर्जरी) में प्रवेश मिल रहा था। लेकिन, दीपमाला एमबीबीएस करना चाहती थीं। इस वजह से उन्होंने घरवालों और लोगों की सलाह के बावजूद एडमिशन नहीं लिया।

2020 में फिर नीट की परीक्षा में बैठीं। इस बार फिर से बीएएमएस (बैचलर ऑफ आयुर्वेद, मेडिसिन एंड सर्जरी) में एडमिशन हो रहा था। 5 अंकों से एमबीबीएस छूटा। लेकिन, अगर कुछ करने का जज्बा और हौसला बुलंद हो तो गरीबी आड़े नहीं आती। उन्होंने दोबारा प्रवेश नहीं लिया।

दीपमाला ने फिर से 2021 में नीट की परीक्षा दी। तीसरी बार नीट क्रैक किया और ऑल इंडिया रैंक 9420 लायी। वहीं कैटेगरी रैंक 3538 मिली है। इस बार एमबीबीएस में दाखिले का रास्ता साफ हो गया है। उनकी मेहनत की इलाके में काफी चर्चा हो रही है। दीपमाला ने वाल्मीकिनगर लोकल स्कूल, रिवर वैली हाई स्कूल, वाल्मीकिनगर से इंटरमीडिएट किया। उन्होंने सेल्फ स्टडी के जरिये यह मुकाम हासिल किया है।

उसके माता-पिता ने पर्यटक शहर में विभिन्न स्थानों पर सड़क के किनारे कॉस्मेटिक की दुकानें स्थापित कीं और होनहार बेटी उनकी मदद करती रही। अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये वह काम के साथ-साथ पढ़ाई भी करती। लगातार तीसरी बार सफलता मिलने से उनके परिवार वाले काफी खुश हैं। परिवार के सभी सदस्यों को पता है कि लड़की अब डॉक्टर बनेगी।

 

 

 

 

Input: Daily Bihar

 

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