अक्सर देखा जाता है कि हिन्दी माध्यम से UPSC परीक्षा दे रहे प्रतिभागियों को दूसरे छात्रों के मुकाबले ज़्यादा चुनौतियों का सामना करना पड़ता है क्योंकि उनके लिए इस माध्यम में ज़्यादा सोर्सेज भी उपलब्ध नहीं होते हैं। जैसे परीक्षा की तैयारी करने में उन्हें कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
पर यदि मन में सच्ची लगन और लक्ष्य प्राप्ति की प्रबल इच्छा हो तो, बड़े से बड़ी मुश्किल भी अंततः हल हो ही जाती है, जैसा कि बिहार की ऋचा रत्नम ने किया, उन्होंने हिन्दी मीडियम के स्टूडेंट होने के बावजूद वर्ष 2019 की यूपीएससी सीएसई परीक्षा को पांचवें प्रयास में उत्तीर्ण कर लिया। हालांकि उन्होंने बहुत संघर्ष के बाद यह सफलता हासिल की लेकिन कभी हार नहीं मानी और अपनी गलतियों से सीख कर आगे बढ़ती गईं।
रिचा ने यह परीक्षा देने के लिए हिन्दी माध्यम सलेक्ट किया था, यही वज़ह थी कि उन्हें एग्जाम की तैयारी के लिए कई तरह की परेशानियाँ उठानी पड़ी। हिन्दी मीडियम से परीक्षा दे रहे अधिकतर प्रतिभागी ही यही बताते हैं कि हिन्दी में स्टडी मटेरियल एक तो मिलता नहीं है और जो मिलता है वह भी अच्छा नहीं होता है। यही वज़ह है कि अंग्रेज़ी माध्यम स्टूडेंट के मुकाबले हिन्दी माध्यम के छात्रों को इस मामले में अधिक परेशानी आती है।
ऋचा के साथ भी ऐसा ही हुआ था क्योंकि वह भी हिन्दी मीडियम चाहिए एग्जाम दे रही थीं। चार बार उन्हें सफलता नहीं मिली लेकिन फिर भी उन्होंने प्रयास नहीं छोड़ा और आखिरकार 5 में कोशिश में वे सफल हुईं। यूपीएससी परीक्षा दे रहे प्रतिभागियों के लिए ऋचा का यह संघर्ष काफ़ी प्रेरणादाई रहा है। चलिए जानते हैं ऋचा किस तरह से चुनौतियों का सामना करके पास हुईं…
बीटेक करने के बाद नोएडा में रहकर की परीक्षा की तैयारी
एक इंटरव्यू के दौरान ऋचा ने बताया कि वे इंजीनियरिंग की छात्रा रही हैं। पहले उन्होंने बीटेक की डिग्री प्राप्त की औऱ उसके बाद UPSC एग्जाम की तैयारी शुरू कर दी थी। 10वीं कक्षा तक उन्होंने हिन्दी माध्यम से ही पढ़ाई की और फिर कक्षा 11 और 12 अंग्रेज़ी मीडियम से पूरा किया। 10 वीं तक हिन्दी माध्यम से पढ़ने के बाद फिर अंग्रेज़ी मीडियम में जाने की वज़ह से उन्हें बहुत दिक्कत आयी।
रिचा सिवान, वैसे तो बिहार की रहने वाली है परंतु UPSC एग्जाम की तैयारी के लिए वे नोएडा में अपने भाई के पास रहा करती थीं। उन्होंने इस परीक्षा के लिए 4 बार प्रयास किया, जिनमें से चौथी बार वे पहली बार मेन्स तक पहुँच पाईं थीं, परंतु फिर भी कुछ नंबर कम आने से उनका सिलेक्शन नहीं हुआ फिर पांचवी बार प्रयास करने पर वे सारे चरण पास करते हुए चयनित हो गईं।
हिंदी मीडियम होने से आई ज़्यादा दिक्कतें
रिचा ने बताया कि उनकी तैयारी के लिए हिन्दी मीडियम सबसे बड़ी समस्या रहा था, क्योंकि इस मीडियम में बेहतर स्टडी मैटीरियल नहीं मिल पाता है। फिर उन्होंने इस परेशानी को हल करने के लिए ख़ुद ही इंग्लिश में उपलब्ध सामग्री को हिन्दी भाषा में बदलकर तैयारी की। हिन्दी मीडियम से परीक्षा दे रहा है अन्य छात्रों को भी वह यही सुझाव देती है कि अध्ययन सामग्री चाहे किसी भी भाषा में मिले आप उसे अपने भाषा में परिवर्तित करके तैयारी कीजिए। वरना यदि आप स्टडी मटेरियल ही खोजते रह जाएंगे तो आपका बहुत-सा समय बर्बाद हो जाएगा और आपकी तैयारी अधूरी रह जाएगी, इसलिए जो सोर्सेज उपलब्ध है उसी से अपनी भाषा में नोट्स बनाइए।
हिंदी मीडियम स्टूडेंट्स को होती है सी-सैट सेक्शन में मुश्किल
रिचा ने कहा कि अधिकतर छात्र जो हिन्दी मीडियम वाले हैं उन्हें सी-सैट सेक्शन में काफ़ी दिक्कत आती है क्योंकि उनके लिए मैं थोड़ा कठिन रहता है। परन्तु क्योंकि वे एक इंजीनियरिंग की छात्रा थीं, इस वज़ह से उन्हें सी-सैट सेक्शन में ज़्यादा मुश्किल नहीं आई। फिर इस परेशानी का हल बताते हुए वे कहती हैं कि UPSC एग्जाम में सी-सैट सेक्शन इतना भी कठिन नहीं होता है, तो इसके लिए ज़्यादा परेशान होने की आवश्यकता नहीं है। यदि आप रोजाना एक घंटा भी इससे जुड़े क्वेश्चन सॉल्व करके प्रैक्टिस करेंगे तो भी आप यह सेक्शन आसानी से पास कर लेंगे।
रिचा ने कहा-आप मत कीजिए यह 5 गलतियाँ
रिचा को 4 बार इस परीक्षा में असफलता का सामना करना पड़ा था, उसके बारे में बात करते हुए ऋचा ने कहा कि मैंने पिछले प्रयासों में 5 ऐसी गलतियाँ की थी, जो नहीं करनी चाहिए थी, लेकिन भेज उन गलतियों से सबक लेकर मैंने सुधार किया। अपनी उन 5 गलतियों के बारे में अन्य प्रतिभागियों को भी सचेत करती हुई वह कहती हैं कि पहला तो आपको इस बात का ध्यान रखना है कि जिस समय आप परीक्षा देने के लिए पूरी तरह से तैयार हो जाए तभी परीक्षा दीजिए, ना की सिर्फ़ अनुभव प्राप्त करने के लिए।
दूसरी आवश्यक चीज यह है ऋचा मॉक इत्यादि घर पर रहकर ही दिया करती थी और तैयारी भी घर से ही कर रही थीं। फिर घर पर तैयारी करके वे सिर्फ़ एग्जाम वाले दिन जाकर एग्जाम दे देती थी इस वज़ह से उनका परफॉर्मेंस अच्छा नहीं रहता था। यदि आपको इस परीक्षा में पास होना है तो, वास्तविक परिस्थितियों में एग्जाम देने की प्रैक्टिस करनी आवश्यक है।
तीसरी आवश्यक बात बताते हुए ऋचा कहती हैं कि बहुत ज़्यादा सोर्स ना रखें, बल्कि लिमिटेड सामग्री में ही पढ़ने की कोशिश करें। एक सब्जेक्ट की एक ही बुक रखिए और उससे ही बार-बार पढ़कर प्रैक्टिस कीजिए। बहुत ज़्यादा रिसोर्सेज रखने पर आपकी तैयारी ठीक से नहीं हो पाएगी और आप कंफ्यूज होंगे।
फिर ऋचा रत्नम चौथी महत्त्वपूर्ण बात बताते हुए कहती है कि उनके परिवार में कोई भी सिविल सर्विसेज एग्जाम से जुड़ी जानकारी नहीं रखता था, इसलिए उनको भी इस बारे में ज़्यादा नॉलेज नहीं थी। फिर उन्होंने एक गाइडेंस प्रोग्राम ज्वॉइन किया, जिससे उन्हें काफ़ी मदद मिली। फिर वे अंतिम ज़रूरी चीज बताती हैं कि आंसर राइटिंग की प्रैक्टिस बहुत अच्छे से कीजिए, क्योंकि इससे ही आप मेन्स परीक्षा में अच्छे नंबर लेकर पास हो सकते हैं। उत्तर लिखने की प्रैक्टिस अच्छे से करने पर आपका पेपर भी नहीं छूटेगा और आपका रिवीजन भी होता रहेगा।