Chhath Puja 2021: बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश समेत उत्तर भारत में लोक आस्था का महापर्व छठ धूमधाम से मनाया जा रहा है। चार दिवसीय छठ पूजा हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को होती है। दिवाली के छह दिन बाद छठ पूजा, हिंदूओं का सबसे बड़े त्योहार है। महापर्व को छठ पूजा, सूर्य षष्ठी पूजा और डाला छठ के नाम से भी जाना जाता है। ये पूजा 36 घंटे के निर्जला व्रत के साथ शुरू होती है। इसके साथ ही साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखा जाता है। इसी से जुड़ा है डाला में रखे जाने वाले फलों और सामग्री का महत्व।
इस बार छठ पूजा 8 नवंबर से नहाय-खाय के साथ शुरू हुई। नहाय-खाय के अगले दिन 09 नवंबर को खरना, 10 नवंबर को सूर्य देव को संध्या अर्घ्य, फिर 11 नवंबर को सुबह के समय उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही इस पर्व की समाप्ति होगी। छठी माइया को प्रसन्न करने के लिए ठेकुआ, पुआ और मीठे पकवान को बेहद ही स्वच्छता के साथ बनाया जाता है। बिहार में तो इसकी तैयारी दिवाली के त्योहार के साथ ही हो जाती है। आस्था के अनुसार छठ महापर्व में फल खास महत्व रखते हैं। घाट पर ले जाने वाले डाले को इन्हीं फलों से सजाया जाता है, जिनका भोग व्रतियां छठ मइया को लगाती हैं। यही फल प्रसाद स्वरूप सभी को बांटे जाते हैं। छठ महापर्व में कौन-कौन से फल चढ़ाने चाहिए और इसके पीछे की क्या वजह है। ये हम आपको बतातें हैं…
नारियल को मां लक्ष्मी स्वरूप और बड़ा ही पवित्र फल माना जाता है। इसके पीछे का कारण ये है कि इसे कोई भी जीव जूठा नहीं कर सकता। इसका ऊपरी आवरण बेहद कठोर होता है। वहीं, मनोकामना पूर्ण करने के लिए नारियल चढ़ाने का विधान है। यही वजह है कि छठ माई को नारियल अर्पित किया जाता है।
देव फल सुपारी सभी शुभ कार्यों में प्रयोग में लाई जाती है। छठ में भी पान-सुपारी को लेकर ही पूजा का संकल्प किया जाता है। संस्कृत में पुगीफलम् कहे जाने वाले इस फल में मां लक्ष्मी का प्रभाव माना गया है। इसे भी कोई जीव जूठा नहीं कर सकता। यही कारण है कि छठी मईया को सुपारी चढ़ाई जाती है।
छठ पूजा में गन्ना अपना विशेष महत्व रखता है। महापर्व के दौरान शाम के समय घर के आंगन में गन्ने का घर बनाया कर उसके नीचे हाथी रखा जाता है। फिर छठी माई की पूजा की जाती है। ऐसा मान्यता है कि छठी मइया का प्रिय फल गन्ना है। यही वजह है कि गन्ने से बने गुड़ से प्रसाद भी बनाया जाता है। मान्यता ये भी है कि गन्ना चढ़ाने से छठी मईया आनंद और समृद्धि प्रदान करती हैं। गन्ने को भी कोई जीव झूठा नहीं कर सकता।
केले के पौधे में भगवान विष्णु का वास होता है, ये सभी को भलि-भांति पता है। लोकआस्था है कि केला सबसे पवित्र फल होता है। लेकिन केले की घौद क्यों चढ़ाई जाती है, इसके पीछे की वजह ये है कि केले को अगर एक एक कर के तोड़ा जाता है तो इसका ऊपरी आवरण हट सकता है और फल दूषित हो सकता है। ऐसे में छठी मईया से मनोकामना पूर्ति के लिए केले का घौद भेट करने का प्रण लिया जाता है। यही कारण है कि छठ महापर्व पर केला अपना महत्व रखता है।
खाने में खट्टा मीठा लगने वाले बड़े आकार के नींबू को डाभ नींबू कहते हैं। इसका आवरण बेहद मोटा होता है, जिसकी वजह से पशु-पक्षी इसे जूठा नहीं कर पाते। यही वजह है कि छठी मइया को डाभ नींबू बहुत पसंद है और व्रतियां उन्हें प्रसाद स्वरूप डाभ नींबू अर्पित करती हैं।
तालाब में फलने वाला सिंघाड़ा मां लक्ष्मी का प्रिय फल है। यह रोगनाशक और शक्तिवर्धक फल माना गया है। इसका आवरण मोटा होता है और इसमें कांटे होने के कारण छोटे से लेकर बड़े जीव इसे जूठा नहीं कर पाते। इन्हीं विशेषताओं के चलते ये फल छठी माई को चढ़ाया जाता है।
अनानास भी उन्हीं फलों की श्रेणी में आता है, जिनका ऊपरी आवरण बेहद कठोर होता है। लिहाजा, कोई भी जीव इसे जूठा नहीं कर पाता। स्वच्छता से छठी मइया खुश होती है। यही वजह है कि अनानास का भी मइया को भोग लगाया जाता है। कुल मिलाकर, ऐसे फलों को प्रयोग में लाया जाता है, जिन्हें कोई झूठा नहीं कर सकता है। प्रसाद बनाने से लेकर फलों को चढ़ाने तक पूरी तरह स्वच्छता का ख्याल रखा जाता है। छठी मइया आप सभी की मनोकामना पूरी करें। महापर्व की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।
Input: Daily Bihar