1997 में भागलपुर में एडीजे को चैंबर में पुलिस ने पीटा था, जोखू सिंह ने खुलेआम किया था पिटाई : झंझारपुर में एडीजे अविनाश कुमार पर प्रहार कर एक बार फिर पुलिस ने अपने कुकृत्यों को दोहराया है। 24 वर्ष पहले भी ऐसी एक घटना भागलपुर में हुई थी। एक आपराधिक मामले के ट्रायल के दौरान आईओ जोखू सिंह की गवाही हुई जो अधूरी रही, अगली तारीख पर उन्हें बुलाया गया। लेकिन हर प्रयास के बाद भी वे उपस्थित नहीं हुए। तब कोर्ट ने कारण बताओ नोटिस जारी किया। फिर भी वे न तो उपस्थित हुए और न ही नोटिस का जवाब दिया। अंततः कोर्ट ने उनके खिलाफ गिरफ्तारी का गैर जमानती वारंट जारी किया और 24 नवंबर 1997 की तारीख दे दी।
जोखू सिंह 17 नवंबर को अचानक कोर्ट में हाजिर हो गए। कोर्ट ने उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया। इसके बाद जोखू सिंह की ओर से जमानत की अर्जी दाखिल की गई। 18 नवंबर को जोखू सिंह के वकील ने जमानत अर्जी को वापस लेने का अनुरोध किया, जिसे स्वीकार कर लिया गया। उसके थोड़ी देर बाद अचानक बड़ी संख्या में पुलिस के अधिकारी लाठी तथा अन्य हथियारों से लैस होकर कोर्ट रूम में आ गए और एडीजे डीएन बरई के विरुद्ध नारेबाजी करने लगे।
माहौल को भांपते हुए एडीजे बरई अपने चैंबर में भागे और अंदर से दरवाजा बंद कर लिया। लेकिन पुलिस अधिकारियों ने उनके चपरासी, बॉडीगार्ड को खूब पीटा और चैंबर का दरवाजा तोड़ कर अंदर घुस गए। एडीजे बरई के साथ मारपीट करने लगे। सभी पुलिस वाले जोखू सिंह की बिना शर्त रिहाई की मांग करने लगे। एडीजे बेहोश होकर गिर गए। किसी तरह समय पर डॉक्टर के आने से उनकी जान बच गई। इसमें कई पुलिसवालों की नौकरी गई, सजा भी हुई।
झंझारपुर में हुई ऐसी ही घटना पर बार काउंसिल ऑफ इंडिया के चेयरमैन मनन कुमार मिश्रा, बिहार स्टेट बार काउंसिल के अध्यक्ष रमाकांत शर्मा, पटना हाईकोर्ट एडवोकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष योगेश चन्द्र वर्मा ने कहा कि न्यायिक अधिकारी से मारपीट करने वाले पुलिस कर्मियों को सख्त सजा दी जानी चाहिए ताकि फिर कोई ऐसा दुस्साहस नहीं कर सके।
input:daily bihar