मछली उत्पादन में हम शीघ्र बनेंगे अात्मनिर्भर राज्य सालाना जरूरत 8 लाख एमटी से एक लाख ही पीछे, 2024-25 तक दो करोड़ एमटी मछली उत्पादन का लक्ष्य, वैश्विक मछली उत्पादन में देश का योगदान लगभग 7.7 प्रतिशत, निर्यात में हम चौथे स्थान पर, भारत में एक तिहाई मछली उत्पादन का स्रोत समुद्र
बीआरए बिहार विश्वविद्यालय के यूजीसी एचआरडीसी निदेशक डाॅ. मनेंद्र कुमार ने कहा कि बिहार शीघ्र ही मछली उत्पादन में अात्मनिर्भर हाे जाएगा। सूबे में 8 लाख मीट्रिक टन मछली की खपत हाेती है, जबकि इस साल अब तक ही 7 लाख मीट्रिक टन का उत्पादन हाे चुका है। वे रविवार काे विश्व मत्स्य दिवस पर विवि जूलाॅजी विभाग की अाेर से अायाेजित वेबिनार में बाेल रहे थे। कहा- देश में प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना का लक्ष्य 2024-25 तक दो करोड़ मीट्रिक टन मछली उत्पादन का है। एेसा हाेने पर तकरीबन 55 लाख लोगों को रोजगार मिलेगा। वैश्विक मछली उत्पादन में देश का योगदान लगभग 7.7 प्रतिशत है और यह वैश्विक निर्यात में चौथे स्थान पर है।
भारत में एक तिहाई मछली उत्पादन का स्रोत समुद्र
सेंट्रल इंस्टीच्यूट ऑफ फिशरीज एजुकेशन, मुंबई के पूर्व कुलपति डॉ. दिलीप कुमार ने कहा कि भारत में 150 लाख मीट्रिक टन मछली उत्पादन में एक तिहाई समुद्री स्रोत से और दो तिहाई इनलैंड स्रोत से है। वर्तमान में मछली भोजन का मुख्य हिस्सा है अाैर स्वास्थ्य के लिए भी काफी लाभदायक। इसमें प्रोटीन, फैट, कार्बोहाइड्रेट, खनिज व विटामिन की प्रचुर मात्रा पाई जाती है। उन्होंने कहा कि मछली उत्पादन बढ़ने से गांवों में रोजगार बढ़ेंगे। महर्षि दयानंद सरस्वती विवि अजमेर के पूर्व कुलपति प्रो. केके शर्मा ने कहा कि कौटिल्य के अर्थशास्त्र और राज सोमेश्वर के मानसोलासा जैसे ऐतिहासिक ग्रंथ में भी मछली संस्कृति का उल्लेख है।
input:daily bihar