80 का दशक ख़त्म होते-होते एक ऐसा दौर आया, जब श्रीलंका सिविल वॉर से जूझ रहा था. भारत-श्रीलंका समझौते के अनुसार, भारतीय सेना वहां शांति व कानून और व्यवस्था बहाल करने के लिए गई. श्रीलंका के अंदर भारतीय सेना द्वारा चलाए गए इस अभियान को ‘ऑपरेशन पवन’ के नाम से जाना जाता है, जो कि 1987 से 1990 तक चला.
इस पूरे मिशन में यूं तो हर एक भारतीय जवान ने अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा की. मगर एक नाम ऐसा भी रहा, जिसे इस मिशन के दौरान अपनी बहादुरी के लिए मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया. वह कोई और नहीं मेजर रामास्वामी परमेश्वरन थे.
1971 की जंग में शामिल भारतीय जवानों से ली प्रेरणा
मेजर रामास्वामी परमेश्वरन 13 सितंबर, 1946 को महाराष्ट्र में पैदा हुए. पिता के.एस.रामास्वामी और मां जानकी ने उन्हें बचपन से ही पढ़ाई के लिए प्रेरित किया. पढ़ने लायक हुए तो साउथ इंडियन एजुकेशन सोसायटी, हाई स्कूल भेजा गया.
आगे साल 1968 में साइंस से ग्रेजुएशन पूरी करने के बाद परमेश्वरन ने ख़ुद को सेना के लिए तैयार किया. कहते हैं कि परमेश्वरन 1971 के युद्ध में पाकिस्तान के ख़िलाफ़ लड़ने वाले सैनिकों के बलिदान से बहुत प्रेरित थे. सेना का हिस्सा बनने के पीछे इसे भी एक बड़ा कारण माना जाता है.
Input: ITHINDI