स्वास्थ्य विभाग और अस्पतालों की लापरवाही आए दिन सामने आती ही रहती है. ताजा मामला नालंदा से सामने आया है. जहां एक प्रसूता को एचआईवी पॉजिटिव ब्लड चढ़ा दिया गया. इसकी जानकारी तब मिली जब महिला एचआईवी की दवा लेने बिहारशरीफ सदर अस्पताल पहुंची. इसके बाद स्वास्थ्य महकमे में खलबली मच गई. अस्पताल अधीक्षक डॉ. सुजीत कुमार अकेला ने ब्लड बैंक टेक्निशियन से शोकॉज मांगा है. साथ ही उच्चस्तरीय जांच की भी अनुशंसा की है. हैरत की बात यह है कि ब्लड बैंक में एचआईवी पॉजिटिव ब्लड कैसे स्टोर किया गया. जबकि, किसी से भी खून लेकर स्टोर करने के पहले एचआईवी पॉजिटिव की जांच जरूरी है.
जानकारी अनुसार तीन नवंबर को एचआईवी पॉजिटिव महिला प्रसव के लिए सदर अस्पताल आयी थी. प्रसव के दौरान उसे एक यूनिट ब्लड की जरूरत थी. पति ने खून दिया, जिसने एचआईवी पॉजिटिव होने की बात नहीं बतायी. उस खून की जांच करके ब्लड बैंक में रख दिया गया. और, उसके बदले दूसरा ब्लड प्रसूता को चढ़ाया गया. एक हफ्ते बाद दूसरी महिला को प्रसव के दौरान यह खून चढ़ा दिया गया.
दो दिन पहले एचआईवी संक्रमित महिला एड्स की दवा लेने सदर अस्पताल पहुंची. दवा देने के दौरान काउंसलर ने कागजात की छानबीन के दौरान पाया कि उसे तीन नवंबर को प्रसव हुआ था। उस वक्त उसके पति ने अपना ब्लड देकर दूसरा खून पत्नी को चढ़वाया था. काउंसलर का माथा ठनका. उसके पति द्वारा दिये गए ब्लड की छानबीन की तो पता चला कि किसी अन्य प्रसूता को चढ़ाया जा चुका है. डीएस ने बताया कि इस तरह से रोगियों की जान से खिलवाड़ करने वाले कर्मियों को बख्शा नहीं जाएगा. जल्द ही जांच पूरी कर लापरवाही बरतने वाले लोगों पर कार्रवाई की जाएगी.
Input: DTW24