कभी न हार मानने. संघर्ष से न डरने और मज़बूत इच्छा-शक्ति के चलते एक महिला ने अपनी तकदीर खुद ही लिखी और समाज के सामने ख़ुद मिसाल बन गई. तेलंगाना के वारंगल में कभी हर दिन 5 रुपये कमाने वाली महिला आज 15 मिलियन डॉलर की कम्पनी की मालकिन है.
इस महिला का नाम है ज्योति रेड्डी है. ज्योति के लिए ये सफ़र इतना आसान नहीं था. हर दिन रोटी के लिए संघर्ष करना और भीषण गरीबी को मात देकर इस मुकाम को हासिल करना उनके हिम्मत और हौसले को बयान करता है. ऐसे में, आज ज्योति की प्रेरणादायक कहानी को जानना बेहद दिलचस्प रहेगा:
मां के होते हुए भी अनाथ बनीं
ज्योति का जन्म वारंगल के एक बेहद गरीब परिवार में हुआ था. वो अपने पांच भाई-बहनों में से दुसरे नंबर की संतान हैं. महज 9 साल की उम्र में ज्योति के पिता वेंकट रेड्डी ने उन्हें और उनकी छोटी बहन को अनाथालय में छोड़ दिया. ऐसा करने के पीछे उनकी मजबूरी थी. उन्हें लगा कि वहां रहते हुए उन्हें अच्छा खाना और माहौल मिल पायेगा. जहां उनकी छोटी बहन बीमार पड़ गयी, तो वह जल्द ही वापस घर चली गयीं. लेकिन ज्योति अभी भी वहीं थीं.
कभी न हार मानने. संघर्ष से न डरने और मज़बूत इच्छा-शक्ति के चलते एक महिला ने अपनी तकदीर खुद ही लिखी और समाज के सामने ख़ुद मिसाल बन गई. तेलंगाना के वारंगल में कभी हर दिन 5 रुपये कमाने वाली महिला आज 15 मिलियन डॉलर की कम्पनी की मालकिन है.
इस महिला का नाम है ज्योति रेड्डी है. ज्योति के लिए ये सफ़र इतना आसान नहीं था. हर दिन रोटी के लिए संघर्ष करना और भीषण गरीबी को मात देकर इस मुकाम को हासिल करना उनके हिम्मत और हौसले को बयान करता है. ऐसे में, आज ज्योति की प्रेरणादायक कहानी को जानना बेहद दिलचस्प रहेगा:
मां के होते हुए भी अनाथ बनीं
ज्योति का जन्म वारंगल के एक बेहद गरीब परिवार में हुआ था. वो अपने पांच भाई-बहनों में से दुसरे नंबर की संतान हैं. महज 9 साल की उम्र में ज्योति के पिता वेंकट रेड्डी ने उन्हें और उनकी छोटी बहन को अनाथालय में छोड़ दिया. ऐसा करने के पीछे उनकी मजबूरी थी. उन्हें लगा कि वहां रहते हुए उन्हें अच्छा खाना और माहौल मिल पायेगा. जहां उनकी छोटी बहन बीमार पड़ गयी, तो वह जल्द ही वापस घर चली गयीं. लेकिन ज्योति अभी भी वहीं थीं.
अनाथालय का जीवन उनके लिए बहुत मुश्किल भरा था. एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया था कि, “कोई नल नहीं था और कोई उचित बाथरूम नहीं था. मैं कुएं से सिर्फ एक बाल्टी पानी पाने के इंतजार में घंटों खड़ी रहती. मैं अम्मा को बहुत याद करती थी. वहां रहने के लिए मुझे ऐसा जताना पड़ता था कि मेरी मां नहीं है.”
Input: indiatimes