साफिया बानो और खलील अहमद, उत्तर प्रदेश के फैजाबाद में ‘मुस्कान बेकर्स और डेयरी’ चलाते हैं। बिना रेफ्रिजरेटर उनका काम चलना मुश्किल है। लेकिन उनकी दुकान में जो फ्रिज था, उसकी वजह से हर महीने 2000 से 2200 रुपये तक का बिजली का बिल आ रहा था और अगर कभी बिजली चली जाए, तो उनके डेयरी प्रॉडक्ट खराब होने लगते थे।
लेकिन अब उन्होंने इस समस्या का समाधान ढूंढ लिया है। अक्टूबर 2020 में उनकी इस छोटी सी दुकान में 150 लीटर के सौर ऊर्जा से चलने वाले डेयरी कूलर को इंस्टॉल किया गया था। उसके बाद से उनका बिजली का बिल घटकर न केवल 900 रुपये हो गया, बल्कि महीने की कमाई भी तकरीबन 15 हजार रुपये बढ़ गई है। पहले जहां वह पूरे दिन में सिर्फ 15 से 20 लीटर दूध बेच पाते थे, आज इस विश्वसनीय कोल्ड स्टोरेज के चलते, रोजाना 25 लीटर दूध बेच रहे हैं।
80 प्रतिशत तक मिलती है सब्सिडी
खलील अपने सोलर फ्रिज (solar fridge) की खासियत बताते हुए कहते हैं, “जिन इलाकों में बिजली की आवाजाही लगी रहती है, वहां के लिए यह फ्रिज एक वरदान है। इसके टेंपरेचर कंट्रोल (Temperature Control) जैसे फीचर बहुत ही यूजर फ्रेंडली हैं, जिन्हें इस्तेमाल करना आसान है।”
‘मुस्कान बेकरी’ उन कई छोटे व्यवसायों में से एक है, जिन्होंने बिजली से चलने वाले फ्रिज को छोड़कर डीडी सोलर फ्रिज (solar fridge) को अपनाया है। डी डी सोलर से जुड़े एक गैर-लाभकारी संगठन की बदौलत, उन्हें इसे खरीदने पर 80 फीसदी की सब्सिडी भी मिली है। दरअसल, किन लोगों को सब्सिडी दी जानी चाहिए, इसका फैसला डीडी सोलर के साथ सहयोग कर रहे स्वयंसेवी संगठन या फिर उनकी सेल्स टीम द्वारा किए गए सर्वे के आधार पर किया जाता है।
बिजली की खपत हुई कम
डीडी सोलर के सीईओ और संस्थापक तुषार देवीदयाल ने द बेटर इंडिया को बताया, “हमारा रेफ्रिजरेटर पूरी तरह से सौर ऊर्जा पर काम करता है। यह दो या दो से ज्यादा सोलर पैनल स्टोरेज बैटरी और माइक्रोकंट्रोलर के साथ आता है। किसानों या छोटे उद्यमियों की जरूरत के हिसाब से पैनल और बैट्रियों की संख्या निर्धारित की जाती है। कंपनी के इंजीनियर ही फ्रिज (solar fridge) को इंस्टॉल करते हैं। इनकी कीमत 75,000 से 90,000 रुपये के बीच है। सोलर फ्रिज, भारत के ग्रामीण हिस्सों में रहनेवाले उन छोटे व्यापारियों के लिए काफी फायदेमंद है, जो मछली, डेयरी उत्पाद या अन्य खुदरा सामान बेचने के व्यवसाय से जुड़े हैं।”
100 लीटर की क्षमता वाला यह फ्रिज (solar fridge), पारंपरिक रेफ्रिजरेटर की तुलना में सिर्फ एक चौथाई बिजली की खपत करता है। इससे 24 घंटे में 0.329 किलो वाट (यूनिट) बिजली खर्च होती है, जबकि वहीं बिजली से चलने वाला फ्रिज इतने ही समय में 1.3 यूनिट बिजली खर्च कर देता है।
पर्यावरण को नहीं होता कोई नुकसान
तुषार ने बताया, “100 लीटर की क्षमता वाले सोलर फ्रिज, किसानों और छोटे व्यवसाय से जुड़े लोगों के घरों या दुकानों में इंस्टॉल किए गए हैं। जबकि 200 से 250 लीटर क्षमता वाले फ्रिज फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गेनाइजेशन्स (FPOs) और अन्य बड़ी प्रॉसेसिंग यूनिट में स्थापित किए गए हैं। जिन्हें एकल या सामूहिक तौर पर इस्तेमाल किया जाता है।”
उन्होंने कहा, “हम सितंबर 2021 तक 12 राज्यों के डेयरी, मछली पालन, रेस्तरां और खुदरा जैसे क्षेत्रों से जुड़े छोटे उद्योगों में तकरीबन 402 यूनिट लगा चुके हैं। सोलर फ्रिज की सुविधा के बाद से इन व्यवसायियों को हर महीने औसतन चार से सात हजार रुपये का फायदा पहुंचा है। एक अनुमान यह भी है कि अपने पूरे जीवन काल में ये सोलर फ्रिज लगभग 800 टन ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन को कम करने में सक्षम हैं।”
सोलर फ्रिज से बिजनेस में हुआ फायदा
किसी बिज़नेस में सोलर फ्रिज कैसे फायदा पहुंचाते हैं? इसका जवाब देते हुए तुषार कहते हैं, “सोलर फ्रिज की वजह से डेयरी उत्पाद के व्यवसाय से जुड़े किसान, दूध और दूध से बने उत्पादों का ज्यादा स्टॉक रखने लगे हैं। क्योंकि अब इन उत्पादों के खराब होने का खतरा कम हो गया है। उन्होंने अब छाछ, मावा (खोया) और पनीर जैसे प्रोडेक्ट भी बड़ी मात्रा में रखना शुरु कर दिया है।”
उन्होंने कहा, “ऐसा ही मछली पालन से जुड़े व्यवसाय में भी है। हमारा ध्यान अब इन्हीं लोगों की तरफ है। ये मछली खरीदते हैं और उन्हें बर्फ़ की सिल्ली में दबाकर घर या दुकानों पर जाकर बेचते हैं। यह उनके रोजाना का काम है। सोलर फ्रिज (solar fridge) के बाद से उनकी ये परेशानियां थोड़ी कम हो गई हैं। अब ये लोग थोक में मछली खरीदकर फ्रिज में स्टोर कर लेते हैं और जब इनकी कीमतें ज्यादा होती हैं, तो उन्हें बेच देते हैं। ऐसा कर वे ज्यादा पैसा कमा पा रहे हैं। बर्फ़ की सिल्ली खरीदने पर जो खर्च आता था, वह अब नहीं हो रहा है। इसके अलावा, वे महंगी से महंगी मछली बेचकर अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। क्योंकि उनके खराब होने की वजह से होने वाले नुकसान का खतरा भी कम हो गया है।”
मछली बेचने वाली वसंता मैरी इनासी मुथु इसका बेहतरीन उदाहरण हैं। उनकी मदुरै के फातिमा नगर में एक छोटी सी दुकान है। इस इलाके में बिजली की काफी किल्लत है।
बीस हजार रुपये बढ़ गई आमदनी
मछलियों को ताजा बनाए रखने के लिए, वसंता मैरी को बर्फ़ की सिल्लियों पर अच्छी खासी रकम खर्च करनी पड़ रही थी। इसके बावजूद मछलियों को उसी दिन बेचना उनकी मजबूरी थी। क्योंकि अगले दिन तक वे खराब हो जातीं। एक गैर-लाभकारी संस्था SELCO फाउंडेशन के साथ काम करते हुए डीडी सोलर ने सितंबर 2020 में वसंता की दुकान में 150 लीटर की क्षमता वाला एक सोलर रेफ्रिजरेटर स्थापित करने में मदद की।
वसंता कहती हैं, “मुझे तो पता ही नहीं था कि सौर ऊर्जा से एक फ्रिज को भी चलाया जा सकता है और वह भी पूरे दिन के लिए। ऐसा लगता है जैसे ये हमारे लिए ही बना है। अब न तो बर्फ़ की जरूरत होती है और ना ही बिजली को लेकर परेशान होना पड़ता है। मछली खराब होने का डर भी अब नहीं रहा। कमाई भी पहले से बढ़ गई है।” वह आगे कहती हैं, “इससे मेरे बिज़नेस को काफी फायदा पहुंचा है। बिजली की समस्या से जूझ रहे अपने ग्राहकों और जानने वालों को मैं सोलर फ्रिज (solar fridge) का सुझाव देती हूं।”
फ्रिज को अपनी दुकान में रखने के बाद से उनकी महीने की आमदनी में 20,000 का इजाफा हुआ है। जहां वह पहले 20 किलो मछली बेच पाती थीं, आज तकरीबन 28 किलो मछली बेच रही हैं। साथ ही बर्फ़ की सिल्ली पर रोजाना उनके सौ रुपये खर्च होते थे, जो अब नहीं होते। उनकी औसत बिक्री 180 रुपये प्रति किलो से बढ़कर 200 रुपये हो गई है। दरअसल, पहले बची हुई मछली को रखने का उनके पास कोई साधन नहीं था। खराब होने के डर से कम दामों में बेचना मजबूरी थी। लेकिन अब उनके पास कोल्ड स्टोरेज है।
साल 2015 में रखी थी नींव
तुषार ने साल 2015 में देवीदयाल (डीडी) की स्थापना की थी। इसका उद्देश्य डीसी रेफ्रिजरेटर, बीएलडीसी पंखे और कूलर जैसे उच्च गुणवत्ता वाले, प्रमाणित ऑफ-ग्रिड उपकरणों को डिजाइन और विकसित करना था। इस क्षेत्र में आने से पहले तुषार, न्यूयॉर्क में लीवरेज्ड फाइनेंस में काम कर रहे थे। उन्होंने कुछ समय तक एरिस्टा लाइफसाइंस, जापान में भारत के कंट्री मैनेजर के रूप में भी काम किया है। डीडी सोलर के का मकसद, ग्रामीण और अर्ध शहरी क्षेत्रों में विकेंद्रीकृत कोल्ड स्टोरेज समाधानों की आवश्यकता को पूरा करना है।
सोलर डीसी रेफ्रिजरेटर एक डिजिटल डिस्प्ले, पर्यावरण के अनुकूल तकनीक (बिना किसी क्लोरोफ्लोरोकार्बन उत्सर्जन) के साथ आता है और इसका परीक्षण CLASP (Collaborative Labeling and Appliance Standards Program), एक गैर-लाभकारी संस्था द्वारा किया जाता है। डीडी सोलर के पास वर्तमान में R&D (डिजाइन सहित) और इन-हाउस परीक्षण के साथ 15 सदस्यों की एक टीम है।
‘इकोसिस्टम अप्रोच’ के साथ
व्यवसाय के लिए उनका दृष्टिकोण उस ‘इकोसिस्टम अप्रोच’ का अनुसरण करता है, जो ग्रामीण भारत के सूक्ष्म उद्यमों और उद्यमियों के लिए अतिरिक्त आय बनाने पर केंद्रित है।
तुषार कहते हैं, “हम छोटे व्यवसायियों को सिर्फ अपना प्रोडक्ट नहीं बेचते, बल्कि उनकी तकनीकी, आर्थिक और बिज़नेस की जरूरतों को भी समझते हैं और उसी के आधार पर उनके सामने एक समाधान रखते हैं। Powering Livelihoods, a Council on Energy, Environment and Water (CEEW)-Villgro पहल ने हमारी महत्वकांक्षाओं और मिशन को संप्रेषित करने में काफी मदद की है। उन्होंने हमें उन विशेषज्ञों से जोड़ा है, जिन्होंने तकनीकी, मार्केटिंग और वित्तीय चुनौतियों से निपटने में लगातार हमारी मदद की।”
Input: the bihar news