जनरल बिपिन रावत की वो हसरत जो रह गई अधूरी…

पौड़ी: उत्तराखंड के पौड़ी जिले के द्वारीखाल ब्लॉक के गांव सैणा का माहौल अपने सपूत जनरल बिपिन रावत (Genral Bipin Rawat) के निधन से गमगीन हो गया है. कांडाखाल कस्बे से कुछ ही दूरी पर स्थित दिवंगत जनरल रावत के इस छोटे से पैतृक गांव में उनके चाचा भरत सिंह रावत आज भी अपने परिवार के साथ रहते हैं. इस गांव में केवल उन्हीं का परिवार निवास करता है. चाचा भरत सिंह ने वो हसरत बताई जो जनरल रावत रिटायर होने के बाद पूरी करना चाहते थे.

2018 में आए थे गांव

जनरल बिपिन रावत (CDS Bipin Rawat) के चाचा भरत सिंह रावत ने बताया कि वह किसी काम से कोटद्वार बाजार गए हुए थे लेकिन जैसे ही उन्हें घटना की सूचना मिली, वह घर की ओर लौट आये. उन्होंने बताया कि उनके घर पर आस पास के गांवों के कुछ लोग सांत्वना देने पहुंचे हैं और सबकी आंखें आसुंओं में डूबी हैं. रूंधे गले से उनके 70 वर्षीय चाचा ने बताया कि वह आखिरी बार अपने गांव थल सेना अध्यक्ष बनने के बाद अप्रैल 2018 में आए थे जहां वह कुछ समय ठहर कर उसी दिन वापस चले गए थे और इस दौरान उन्होंने कुलदेवता की पूजा की थी.

रहना चाहते थे गांव की वादियों में

जनरल रावत के चाचा ने बताया कि उसी दिन उन्होंने अपनी पैतृक जमीन पर एक मकान बनाने की सोची थी और कहा था कि कि वह जनवरी में रिटायर होने के बाद यहां मकान बनाएंगे और कुछ समय गांव की शांत वादियों में व्यतीत करेंगें. उन्होंने बताया कि बिपिन गरीबों के प्रति बड़े दयालु थे और बार-बार उनसे कहते थे कि रिटायर होने के बाद वह अपने क्षेत्र के गरीबों के लिए कुछ करेंगे ताकि उनको आर्थिक मजबूती मिल सके. जनरल रावत के मन में ग्रामीण क्षेत्र से हुए पलायन को लेकर भी काफी दुःख रहता था.

चाचा को बताया था प्लान

जनरल बिपिन रावत का अपने गांव और घर से काफी लगाव था और बीच-बीच में वह अपने चाचा से फोन पर भी बात करते थे. जनरल रावत ने अपने चाचा को बताया था कि वह अप्रैल 2022 में फिर गांव आएंगे. आंखों से बहते आंसुओं को पोंछते हुए उन्होंने कहा कि उन्हें क्या पता था कि उनके भतीजे की हसरतें अधूरी रह जाएंगी.

 

Input: Zee news

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