बिना पैथोलॉजी जांच के पता चल जाएगा कोरोना है या निमोनिया, आईआईटी पटना के शोध में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित नई तकनीक हुई विकसित, डीप लर्निंग से तय किया गया पैरामीटर, हर मरीज का डेटा मिलान कर जांच आसान
मरीज की छाती के केवल एक्सरे रिपोर्ट के आधार पर चंद सेकेंड में आईआईटी पटना की नई तकनीक से यह पता लगाया जा सकेगा कि उक्त मरीज को कोरोना संक्रमण है या फिर निमोनिया। कोरोना निगेटिव लोगों की भी जांच इस एक ही प्रक्रिया से एक साथ हो सकेगी। ताजा शोध को कोरोना की संभावित तीसरी लहर को देखते हुए काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। आईआईटी पटना के इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग के शिक्षक और मेडिकल इमेजिंग में विशेषज्ञ डॉ. राजीव कुमार झा ने एक शोध छात्र के साथ मिलकर इस रिसर्च को पूरा कर नया सॉफ्टवेयर विकसित किया है। यह शोध एलजेवीयर के बायोसिग्नल प्रोसेसिंग एंड कंट्रोल जर्नल में प्रकाशित हो चुका है।
आईआईटी पटना के इलेक्ट्रिक इंजीनियरिंग विभाग की ओर से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के सहारे एक डेटा तैयार किया है। किसी भी मरीज के एक्सरे से प्राप्त डेटा को पहले से डीप लर्निंग के जरिये तैयार सॉफ्टवेयर के डेटा से मिलान करना होता है। प्राप्त आंकड़ों के आधार पर यह तय हो जाता है कि मरीज को किस तरह का संक्रमण है और संक्रमण का प्रतिशत क्या है। रिसर्च का प्रमुख हिस्सा रहे आईआईटी के प्रोफेसर राजीव रंजन झा बताते हैं इस इस शोध को डीप कोवोन्यूशनल न्यूरल नेटवर्क(डीसीएनएन) नाम दिया गया है। यह सॉफ्टवेयर आधारित नेटवर्क डेटा फीड करने के चंद सेकेंड में जांच रिपोर्ट प्रस्तुत कर देता है। इस सॉफ्टवेयर के जरिये जांच की एक्यूरेसी 98 प्रतिशत से भी अधिक है।
हाल के दिनों में कोरोना व निमोनिया के एक समान लक्षणों की वजह से यह अनुमान कर पाना मुश्किल हो जा रहा है कि मरीज को कौन सी बीमारी है। कोविड टेस्ट के लिए आरटीपीसीआर और छाती में संक्रमण की स्थिति के लिए एचआरसिटी कराना पड़ता है। अगर मरीज को निमोनिया हो तो इसके लिए अलग से पैथोलोजिकल जांच की जरूरत होती है, जिसमें पैसा और समय दोनों खर्च होता है। शोध में यह काफी कम खर्च पर जांच की सकेगी। साथ ही शोध टीम का यह कहना है कि मात्र छाती के एक्सरे रिपोर्ट के आधार पर एक सॉफ्टवेयर के तकनीक के माध्यम से यह जांच चंद सेकेंड में संभव है।
Input: Daily Bihar