PATNA : दो दशक बाद कॉलेज-विश्वविद्यालयों में अब होगी कर्मचारियों की बहाली ● अब विश्वविद्यालय नहीं, आयोग से होगी तृतीय श्रेणी के कर्मियों की नियुक्ति ● रोस्टर क्लियरेंस कर रिक्ति आने के बाद आयोग को भेजी जाएगी नियुक्ति की अधियाचना ● रिक्त पदों का ब्योरा पोर्टल पर अपलोड होगा ● पारदर्शिता आएगी, जवाबदेही तय होगी
दो दशक बाद राज्य सरकार द्वारा प्रदेश के परंपरागत विश्वविद्यालयों व अंगीभूत महाविद्यालयों में तृतीय श्रेणी के कर्मचारियों की नियुक्ति की उम्मीदें जग गयी हैं। मंगलवार को शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी ने रिक्तियों का ब्योरा महाविद्यालय व विश्वविद्यालय द्वारा सरकार को भेजने को लेकर ऑनलाइन पोर्टल लांच किया। इस दौरान उन्होंने एफिलिएटेड डिग्री कॉलेजों के संबंधन एवं सम्बद्धता प्राप्त महाविद्यालयों को अनुदान की स्वीकृति के लिए भी दो अलग-अलग पोर्टल की शुरुआत की। तीन पोर्टलों की लांचिंग के मौके पर परंपरागत विश्वविद्यालय के कुलपति भी ऑनलाइन जुड़े रहे।
राज्य के विश्वविद्यालयों-महाविद्यालयों में सन 2000 के बाद अनुकम्पा बहाली को छोड़ दें तो तृतीय श्रेणी के कर्मियों की नियुक्ति नहीं हुई है। इससे सभी जगह आधे से अधिक पद रिक्त हैं और कामकाज प्रभावित हो रहे हैं। अपर मुख्य सचिव संजय कुमार और शिक्षा सचिव असंगबा चुबा आओ ने भी पोर्टल के माध्यम से नियुक्ति की प्रक्रिया को आरंभ करने की बात कही। पोर्टल की लांचिंग के बाद नियुक्ति पोर्टल को लेकर उच्च शिक्षा निदेशक डॉ. रेखा कुमारी के नेतृत्व में विश्वविद्यालयों के रजिस्ट्रारों की मंगलवार को एक कार्यशाला भी हुई। कॉलेज रिक्ति कब तक ऑनलाइन दर्ज करेंगे और विश्वविद्यालय उसे कबतक शिक्षा विभाग को अग्रसारित करेंगे, इसकी तारीख भी जल्द ही तय की जाएगी।
समारोह को संबोधित करते हुए शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी ने कहा कि काफी वर्षों से राज्य के परंपरागत विश्वविद्यालयों एवं उनके अधीनस्थ अंगीभूत महाविद्यालयों में शिक्षकेतर कर्मियों के पद बड़ी संख्या में रिक्त हैं। अब कॉलेज व विवि स्वीकृत, कार्यरत एवं रिक्त पदों की पूर्ण सूचना पोर्टल पर देंगे। हर महीने के अंत तक पोर्टल के माध्यम से शिक्षक व शिक्षकेत्तर कर्मियों की रिक्तियां अपडेट होंगी। रिक्त पदों के आरक्षण रोस्टर क्लियरेंस से आने के साथ ही नियुक्ति की प्रक्रिया आरंभ हो जाएगी। अधियाचना आयोग को भेजी जाएगी। तृतीय श्रेणी के कर्मियों की नियुक्ति अब विश्वविद्यालय नहीं कर सकेंगे। इसके लिए एक्ट में संशोधन किया गया है। नियुक्तियां आयोग के द्वारा की जाएंगी। आयोग का गठन या चयन (एसएससी) पर फैसला किया जाएगा।
शिक्षा मंत्री द्वारा पोर्टलों की लांचिंग के साथ ही सम्बद्ध डिग्री कॉलेजों के लिए कोर्सों की मान्यता और अनुदान की पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन हो गई है। समारोह को संबोधित करते हुए शिक्षा मंत्री ने इसे विभाग का क्रांतिकारी कदम बताया। कहा कि इन तीन पोर्टलों से उच्च शिक्षा की कार्यशैली, पारदर्शिता एवं जवाबदेही की व्यवस्था लागू हो जाएगी। मुख्यमंत्री की सकल नामांकन अनुपात बढ़ाने की नीति को बल मिलेगा। शिक्षा मंत्री ने मौके पर कहा कि वित्त रहित संस्थानों को मिल रहे अनुदान से सिर्फ शिक्षकों को वेतन दे वित्त रहित शिक्षा संस्थानों के प्रबंधन। आंतरिक संसाधन से प्राप्त आमदनी से भी 70 प्रतिशत शिक्षक व शिक्षकेत्तर कर्मियों के वेतन पर व्यय करें। बिना शिक्षकों के वेतन दिए वित्त रहित संस्थानों को अगला अनुदान नहीं मिलेगा। समारोह को अपर मुख्य सचिव व शिक्षा सचिव ने भी संबोधित किया।
input: डेली बिहार