Muzaffarpur Blast: सवालों के घेरे में फैक्ट्री निगरानी सिस्टम, सात माह से नहीं हुआ था निरीक्षण

फैक्ट्री के बायलर का निरीक्षण श्रम विभाग के बायलर इंस्पेक्टर करते हैं। उद्यमियों में इस बात की चर्चा रही कि निरीक्षण एक रस्म अदायगी है। एक साल में एक बार जो रिवाज है, उसको पूरा करना होता है।

अगर कोई नहीं किया तो उसको परेशान होना पड़ेगा। विभाग के अनुसार इस फैक्ट्री का श्रम विभाग से जो भी लाइसेंस मिलना था, वह मिला हूआ था। बायलर इंस्पेक्टर केपी सिंह ने बताया कि उसका कागज दुरुस्त था। अपने दिमाग पर काफी जोर देने के बाद उन्होंने कहा कि सात माह पहले जाकर निरीक्षण किए थे। जब उनसे पूछा गया कि कितने दिन पर निरीक्षण होना चाहिए। आपके अंदर में कितनी फैक्ट्री है तो उस सवाल को टाल गए। उन्होंने कहा कि इस घटना की जांच चल रही है। वह वरीय अधिकारी को रिपोर्ट देंगे।

बेला घटना पर पीडि़तों का दर्द बांटने पहुंचे नेता। सांसद अजय निषाद ने उद्यमी संग बैठक की। पीडि़तों के बारे में जानकारी ली। सांसद ने बताया कि सरकार ने तत्काल मृतक को मुआवजा देने का एलान किया तथा सरकारी खर्च पर इलाज चल रहा है। उद्यमियों से इस तरह की घटना की पुनरावृति न हो इसके लिए हर स्तर पर सजगता रहनी चाहिए। लघु उद्योग भारती के निवर्तमान अध्यक्ष श्यामसुंदर भीमसेरिया ने घटना को दुखद बताते कहा कि सुरक्षा को लेकर सजगता रखने की जरूरत है। जो सरकारी एजेंसी की जवाबदेही है निरीक्षण करने की वह अपना काम समय पर करे। एसयूसीआइ की ओर से मजदूर नेता इदरीश, बैद्यनाथ पंडित, कालीकांत झा, रामसेवक पासवान आदि शामिल रहे। मृतक को पचास लाख का मुआवजा व सरकारी नौकरी देने की मांग की। सीपीआई न्यू डेमोक्रेसी के जिला प्रवक्ता रूदल राम ने हर फ्रैक्ट्री में दो वायलर रखने, 25 लाख मुआवजा व नौकरी की मांग की। उनके रामवृक्ष राम, सुरेश दास कनौजिया आदि शामिल हुए।

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