नीतीश कुमार के शराबबंदी को झटका, सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ने दूरदर्शिता की कमी वाला निर्णय बताया : अभी अभी एक बड़ी खबर सामने आ रही है। साल के अंत में शराबबंदी के समर्थन में सीएम नीतीश कुमार जब अपनी समाज सुधार यात्रा पर निकले हैं उसी समय सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ने शराबबंदी कानून पर बड़ा प्रश्न चिह्न लगा दिया है। उन्होंने बिहार में शराबबंदी को दूरदर्शिता की कमी वाला निर्णय बताया। उनके अनुसार इस फैसले ने बढ़ाई हाई कोर्ट पर दबाव।
सीजेआई रमण ने साफ कहा कि कानून बनाने के दौरान कानून निर्माताओं को उसकी वजह से उत्पन्न समस्याओं के प्रभावी समाधान के बारे में भी सोचना चाहिए। उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि इस सिद्धांत को नजरअंदाज किया जा रहा है। सीजेआई ने बिहार मद्य निषेद कानून, 2016 का हवाला दिया, जिसकी वजह से हाई कोर्ट में जमानत अर्जियों की बाढ़ आ गई। सीजेआई ने कहा कि कानून बनाने में दूरदर्शिता की कमी के कारण अदालतों में सीधे तौर पर रुकावट आ सकती है।
चीफ जस्टिस एनवी रमण ने न्यायाधीशों की नियुक्ति न्यायाधीशों की ओर से किए जाने के मामने को एक मिथक करार दिया है। उन्होंने कॉलेजियम सिस्टम पर उठने वाले सवालों पर कहा कि इसके बारे में एक धारणा विकसित की गई है। असलियत यह है कि न्यायपालिका न्यायिक अधिकारियों की नियुक्ति प्रक्रिया में शामिल होने वाले कई संस्थानों में से महज एक संस्थान है। विजयवाड़ा के सिद्धार्थ लॉ कॉलेज के पांचवें श्री लवु वेंकेटवरलु धर्मार्थ व्याख्यान में ‘भारतीय न्यायपालिका- भविष्य की चुनौतियां’ विषय पर सीजेआई ने बड़ी बात कही है।
Input: Daily Bihar