मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि बिहार में महिला आरक्षण से समाज सुधार का अभियान हमने शुरू किया। सबसे पहले वर्ष 2006 में होने वाले पंचायत चुनाव में हमने एक कानून बनाया, जिसमे तय किया कि 50 प्रतिशत का आरक्षण महिलाओं के लिए रहेगा। ऐसा करने वाला बिहार देश का पहला राज्य बना। उसके साथ-साथ महिलाओं के उत्थान के लिए हमलोगों ने कई काम किये। मुख्यमंत्री समाज सुधार आभियान के तहत बुधवार को मुजफ्फरपुर के एमआईटी के मैदान में सभा को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि मुजफ्फरपुर से मेरा विशेष लगाव है। सरकार बनने के बाद जो हमलोगों ने अभियान चलाया और हमेशा हम यहां आते रहे हैं। हमें याद है कि किस प्रकार एक-एक रास्ते पर मुजफ्फरपुर के लोग खड़े रहे। किस प्रकार लोगों का सहयोग और समर्थन मिला। मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार में उस समय बेहतर ढंग से स्वयं सहायता समूह गठित नहीं था। अब तो दस लाख से अधिक समूह के अंतर्गत एक करोड़ 27 लाख महिलाएं इससे जुड़ गई हैं।
शराब पीना मौलिक अधिकार नहीं
मुख्यमंत्री ने कहा कि शराब पीना किसी का मौलिक अधिकार नहीं है। शराबबंदी कानून को तोड़ने वालों को जेल जाना होगा। सरकार विकास के साथ ही सामाजिक सुधार के लिए भी संकल्पित है। शराबबंदी के साथ ही दहेज उन्मूलन और बाल विवाह जैसी कुरीतियों के खिलाफ सरकार अभियान चला रही है। इस दिशा में बेहतर काम हो रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि कुछ लोगों को समाज सुधार से कोई लेना-देना नहीं है। शराब जैसी खतरनाक चीजों को भी सही बताने में लगे हैं और कुतर्क कर रहे हैं। वैसे लोगों के लिए उनका स्पष्ट संदेश है कि बिहार में किसी को भी शराब पीने की इजाजत नहीं दी जाएगी। शराबबंदी कानून के बेहतर परिणाम सामने आ रहे हैं। जीविका दीदियों के साथ ही सभी महिलाओं की भूमिका की सराहना करते हुए सीएम ने कहा कि उनके प्रयास से ही यह अभियान सफल रहा है।
महिलाओं के कहने पर ही बिहार में शराबबंदी कानून लाया गया था। उन्होंने जीविका दीदियों से बिना डरे इस अभियान को आगे बढ़ाते रहने की अपील की। सीएम ने कहा कि कुछ लोग यह भ्रम फैला रहे हैं कि शराबबंदी के कारण बिहार में बाहर से लोगों के आने का सिलसिला थमा है। मगर आंकड़े बिल्कुल उलट हैं। कोरोना के प्रभाव को छोड़ दें तो बिहार में पर्यटकों की संख्या शराबबंदी के बाद लगातार बढ़ी है। शराबबंदी के फायदों का जिक्र करते हुए सीएम ने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़े बताते हैं कि सड़क दुर्घटनाओं में सबसे अधिक मौतों की मुख्य वजह शराब है। किसी भी अन्य बीमारियों से अधिक मौतें शराब के कारण होने वाली बीमारियों से हो रही है। आत्महत्या की बड़ी वजह भी शराब ही है। कोई भी संवेदनशील और जिम्मेदार सरकार शराब के इन दुष्परिणामों की ओर से मुंह कैसे मोड़ सकता है। सीएम ने कहा कि लोग लाख विरोध कर लें मगर बिहार में शराबबंदी हटाने का सवाल ही नहीं उठता है।
वैसी शादी में न जाएं जिसमें दहेज लिया गया हो
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सभी लोगों से आह्वान करते हुए कहा कि आपलोग अब वैसी शादी में न जाएं जिसमें दहेज लिया गया हो। उन्होंने तो अब इसका पालन शुरू कर दिया है। बाल विवाह रोकने के लिए भी समाज के सभी लोगों से आगे आने की अपील की है। सीएम ने सभी प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों को सख्ती से इन सभी कानूनों को लागू करने को कहा। सभा को मद्य निषेध मंत्री सुनील कुमार, भूमि सुधार एवं राजस्व मंत्री रामसूरत राय, अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री मो. जमां खान, ग्रामीण कार्य मंत्री जयंत राज, मुख्य सचिव त्रिपुरारी शरण, डीजीपी एसके सिंघल ने भी संबोधित किया।