पुलिस अधिकारी बने काशी के कोतवाल, भक्तों ने की Omicron से मुक्ति दिलाने की कामना

भोलेनाथ की नगरी वाराणसी में कई प्रथाएं हैं, जो अपने आप में खास हैं. वाराणसी में काशी विश्वनाथ के दर्शन के पहले काल भैरव के दर्शन का प्रावधान है. काल भैरव को काशी के कोतवाल की संज्ञा से विभूषित किया गया है. काल भैरव शिव की नगरी काशी की सुरक्षा करते हैं और समाज के अपराधियों को पकड़कर दंड के लिए प्रस्तुत करते हैं. जैसे एक पुलिस अधिकारी करता है, वो कार्य काशी के कोतवाल करते हैं.

 

 

 

इस बार कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए काशी कोतवाल का श्रृंगार पुलिस वर्दी में किया गया है. ऐसा इसलिए किया गया है कि बाबा कालभैरव कोरोना के बढ़ते प्रकोप से काशीवासियों की सुरक्षा करें. पहली बार काशी के इतिहास में काल भैरव का भव्य वर्दी वाला श्रृंगार किया गया है. यहां भगवान कोतवाल की वर्दी में दिखे और हाथों में रजिस्टर लेकर जनसुनवाई करते नजर आए. विशेष श्रृंगार से कोरोना वायरस के खात्मे और देश के कल्याण की कामना की गई है.

 

 

 

बाबा कालभैरव का खास रूप पहली बार देखकर भक्त निहाल हो उठे और देर रात तक दर्शन-पूजन के लिए तांता लगा रहा. श्रद्धालुओं का कहना था कि बाबा खुद रजिस्टर और कलम लेकर बैठे हैं तो किसी की फरियाद अनसुनी नहीं होगी. मौजूदा समय के सबसे बड़े संकट कोरोना के संक्रमण से हमें निजात मिलेगी.

 

 

 

बाबा के सिर पर पुलिस कैप, सीने पर बैज, बाएं हाथ में दंड और दाएं हाथ में रजिस्टर दिखा. काशी की मान्यता है कि काशी में जब भी कोई अधिकारी पदस्थ होता है तो सबसे पहले उसे काल भैरव के यहां हाजरी लगानी होती है तभी वो अपना कामकाज प्रारंभ करता है.

 

इतना ही नहीं लोगों के बीच यह मान्‍यता है कि यहां मंदिर के पास एक कोतवाली भी है और काल भैरव स्‍वयं उस कोतवाली का निरीक्षण करते हैं. इसी तर्ज पर इस बार कोरोना को देखते हुए बाबा काल भैरव का विशेष श्रृंगार किया गया.

 

 

 

 

 

मंदिर के पुजारी ने बताया कि इस समय देश में काफी विषम परिस्थितियां हैं. कोरोना वायरस बढ़ता जा रहा है. पंजाब में भी अलग घटनाएं हुईं. हम सभी ने बाबा के असल दंड स्वरूप का श्रृंगार किया. सभी ने कामना की है कि बाबा कोतवाल के रूप सभी के दुखों का नाश करें और कोरोना जैसी भयंकर महामारी से हमें निजात दिलाएं.

 

 

 

Input: DTW24

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