शहर को स्मार्ट सिटी का दर्जा मिले पांच वर्ष पूरे होने वाले हैं। इतने लंबे समय के बाद भी शहर में एक स्मार्ट योजना नहीं पूरी हो सकी है। स्मार्ट सिटी के लिए 1580 करोड़ का बजट बना तो शहरवासियों की उम्मीदें बढ़ गईं।
चौथे साल यानी पिछले वर्ष आधा दर्जन योजनाओं को लेकर किसी तरह टेंडर जारी हुआ। फिलहाल सभी योजनाएं बिखर गई हैं।
लगभग योजनाओं की 12 और 9 महीने की सीमा समाप्त हो चुकी है। तय समय पर 20 फीसदी भी काम पूरा नहीं हुआ है। कुल मिलाकर प्रोजेक्ट, टारगेट से एक वर्ष पीछे चल रही है। एजेंसियों को समय सीमा बढ़ा कर तेजी से काम करने की सिर्फ हिदायत मिल रही है। वहीं कागजी फाइलों को दौड़ा कर स्मार्ट सिटी की बेहतर रैंकिंग का दावा कर पदाधिकारी व प्रतिनिधि खुश है, जबकि बेतरतीब निर्माण के कारण खतरनाक गड्ढों, कीचड़, सील्ट के बड़े-बड़े ढेर से शहर की स्थिति नारकीय बन गयी है।