चाय और अनानास उत्पादन में बिहार के किशनगंज का जलवा, हर साल 80 हजार लोगों को मिलता है रोजगार

मकर संक्रांति यानी 14 जनवरी के दिन ही किशनगंज जिले की नींव रखी गई थी। 14 जनवरी 1990 को पूर्णिया से विभाजित होकर किशनगंज जिला अस्तित्व में आया था। जिला बनने के बाद से ही किशनगंज ने आर्थिक और शैक्षणिक तौर पर खूब प्रगति की है। शिक्षा, स्वास्थ्य, इंफ्रास्ट्रक्चर, ट्रांसपोर्ट, ऊर्जा के क्षेत्र में भी जिले ने विकास के कई आयाम स्थापित किए हैं। इन सब से दो ऐसी चीजें हैं जो जिले को बिहार में सबसे अलग खड़ा करती है।

किशनगंज ने चाय और अनानास उत्पादन के मामले में बिहार में एक अलग पहचान बनाई है। इसका श्रेय जिले के किसानों को जाता है। तमाम कठिनाइयों और परेशानियों के बावजूद भी किसानों ने अपने बदौलत चाय और अनानास की खेती को कैश क्रॉप के रूप में ही नहीं बदला बल्कि बड़ी संख्या में बागानों के लोगों को रोजगार भी उपलब्ध करा रहे हैं। बंगाल के तर्ज पर किसान टी सिटी का दर्जा और अनाज के लिए प्रोसेसिंग प्लांट की मांग लंबे समय से कर रहे हैं। अगर यह हो जाता है तो इन दोनों फसलों को किसान और भी आगे ले जाएंगे।

किसानों ने अपने मेहनत के दम पर चाय उत्पादन के मामले में नया कीर्तिमान स्थापित किया है। चाय उत्पादन के लिए किशनगंज की आबोहवा मुफीद हैं। 120 रुपए प्रति किलो से शुरू होने वाला चाय 4000 रुपए प्रति किलो के दर से बिकता है। हर साल किशनगंज जिले में 75 लाख किलोग्राम चाय उत्पादन किया जाता है। वहीं 100 वर्षों से ऊपर से बंगाल में खेती कर रहे किसान हर साल 125 लाख किलो ही चाय का उत्पादन कर पाते हैं।

किसानों के मेहनत का ही नतीजा है कि यहां की चाय बंगाल और असम के चाय को टक्कर दे रही है। 25 साल पूर्व किशनगंज के कपड़ा कारोबारी राजकरण दफ्तरी ने सर्वप्रथम चाय की खेती की शुरुआत की थी। चाय की सफलता देख लोकल बिजनेसमैन और किसान भी इनसे खेती के गुर सीखने लगें। आज के समय में यहां 9 प्राइवेट और एक सरकारी टी प्रोसेसिंग प्लांट है। जिले में 10 एकड़ जमीन में चाय की खेती शुरू हुई थी और आज के समय में 25 हजार एकड़ से भी ज्यादा में इसकी खेती हो रही है। सालों भर 80 हजार से भी ज्यादा लोगों को यहां के बागान और फैक्ट्री से रोजगार का सृजन होता है।

जिले के पोठिया और ठाकुरगंज ब्लॉक में 2000 हेक्टेयर से ज्यादा भूमि में अनानास की खेती होती है। सहायक निदेशक उद्यान डॉ रजनी सिन्हा के मुताबिक वित्तीय साल 2021-22 में 235 हेक्टेयर में अनानास की खेती करने का लक्ष्य रखा गया था जिसे पूरा कर लिया गया है। किसानों को राष्ट्रीय बागवानी मिशन योजना के तहत सब्सिडी भी दिया जा रहा है। प्रगतिशील किसान दुलालजीत सिंह ने दैनिक भास्कर को बताया कि इसी वर्ष सरकार ने अनानास की खेती को कृषि का दर्जा दिया है।

 

Input: The Bihar Khabar

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