कैप्टन ने यह भी कह दिया कि वो नवजोत सिद्धू को किसी भी सूरत में CM नहीं बनने देंगे। अगर सिद्धू मुख्यमंत्री चेहरा हुए तो कांग्रेस विधानसभा में डबल डिजिट लायक भी सीट नहीं जीत पाएगी। इससे साफ है कि कैप्टन अमरिंदर सिंह ने अब अपनी सियासी राह चुनने की तैयारी कर ली है। वह नई पार्टी बनाएंगे या BJP अथवा किसी दूसरे दल में जाएंगे, इसको लेकर उन्होंने खुलासा नहीं किया।पढ़िए कैप्टन के ताबड़तोड़ सियासी हमले
सिद्धू को पंजाब का CM बनने से रोकने के लिए हर कुर्बानी करने को तैयार हूं। उसके खिलाफ मजबूत कैंडिडेट उतारुंगा ताकि वो 2022 में चुनाव न जीत सके। अगर सिद्धू CM फेस हुए तो कांग्रेस का डबल डिजिट में पहुंचना भी बहुत बड़ी बात होगी।
प्रियंका गांधी व राहुल गांधी मेरे बच्चों जैसे हैं। यह सब इस तरह खत्म नहीं होना चाहिए था। मैं हर्ट हुआ हूं। असली फैक्ट यह है कि भाई-बहन को अभी अनुभव नहीं है। उनके सलाहकारों ने उन्हें स्पष्ट तौर पर मिस गाइड किया है।
मैं जीत के बाद राजनीति छोड़ने की तैयारी कर रहा था लेकिन हारने के बाद कभी नहीं। मैंने 3 हफ्ते पहले ही सोनिया गांधी को अपना इस्तीफा ऑफर किया था। तब उन्होंने मुझे काम जारी रखने को कहा। अगर वो मुझे कह देती तो मैं वह भी कर देता।
केसी वेणुगोपाल, अजय माकन व रणदीप सुरजेवाला कैसे तय कर सकते हैं कि कौन से मंत्रालय के लिए कौन सही है। जब मैं CM था तो मैंने जाति नहीं बल्कि उनके कामकाज के आधार पर खुद अपने मंत्रियों को नियुक्त किया।
सिद्धू व उनके साथियों ने मेरे खिलाफ शिकायत की कि मैंने बादलों और बिक्रम मजीठिया के खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं की। मैं कानून के हिसाब से चलता रहा। अब वो सत्ता में हैं। अगर उनमें हिम्मत है तो अब वो अकाली दल के नेताओं को सलाखों के पीछे डामुझ पर हमला किया गया कि मैंने माइनिंग माफिया में इन्वॉल्व मंत्रियों के खिलाफ एक्शन नहीं लिया। अब वही मंत्री पंजाब कांग्रेस व सरकार के साथ हैं।
अगर सिद्धू सुपर CM की तरह काम करेगा तो पंजाब कांग्रेस काम नहीं कर पाएगी। पंजाब चुनावों में कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ेगा।
सिद्धू को CM बनाने का किया था कड़ा विरोध
पंजाब के CM के तौर पर सुनील जाखड़ का नाम हाईकमान ने तय कर लिया था। हालांकि अंबिका सोनी व पंजाब के कुछ विधायकों ने सिख स्टेट-सिख सीएम का मुद्दा उठाकर इसे नकार दिया। तब सुखजिंदर रंधावा का नाम आने पर सिद्धू ने अपनी दावेदारी ठोकी थी। हालांकि सिद्धू काे CM बनाने का कैप्टन ने कड़ा विरोध किया था। जिसके बाद यह कुर्सी चरणजीत सिंह चन्नी को मिल गई। अब सिद्धू के लिए अगले चुनाव के बाद CM बनने का रास्ता मुश्किल हो चुका है।
input:daily bihar