मुजफ्फरपुर के तीन और बच्चों में एईएस की पुष्टि हुई है। ये बच्चे औराई, बोचहां और अहियापुर के रहने वाले हैं। एईएस की पुष्टि होने के बाद सभी बच्चों का इलाज एसकेएमसीएच के पीकू में चल रहा है।
जिन बच्चों में एईस की पुष्टि हुई है उनमें बोचहां के छह वर्ष के मो बिलाल, अहियापुर के दो वर्ष के मो फवाद आलम और औराई के आठ वर्ष के त्रिनेंद्र कुमार शामिल हैं।
तीन बच्चों को 28 तारीख को एसकेएमसीएच में भर्ती किया गया था। जांच के बाद शुक्रवार के इनमें एईएस की पुष्टि हुई। एसकेएसमीएच इन तीनों के अलावा अभी एईएस का संदिग्ध कोई बच्चा भर्ती नहीं है। तीनों बच्चों में एईएस होने का कारण हाइपोग्लाइसीमिया बताया गया है। एकेएसमीएच में अब तक 24 बच्चों में एईएस की पुष्टि हुई है जिसमें 14 मुजफ्फरपुर जिले के रहने वाले हैं। एसकेएमसीएच से एईएस पीड़ित 18 बच्चे डिस्चार्ज भी कर दिये गये हैं।
टैग गाड़ियों की नहीं दी जानकारी:
एईएस से बचाव की तैयारियों पर डीडीसी ने अपनी रिपोर्ट में असंतोष जताया है। मुशहरी प्रखंड की भगवानपुर पंचायत की समीक्षा के बाद डीडीसी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि एईएस के लिए जिन टैग गाड़ियों के नंबर आंगनबाड़ी सेविकाओं ने लिये हैं, उनकी जानकारी पंचायत के लोगों को नहीं दी गयी है। इससे लोगों को यह पता नहीं है कि उनके क्षेत्र में कौन सी गाड़ी एईएस के लिए लगायी गयी है।
तीन दिन में गाड़ियों का नंबर सार्वजनिक करने का निर्देश :
तीन दिनों के अंदर सभी घरों में टैग गाड़ियों के नंबर को बांटने का निर्देश दिया गया है। डीडीसी कहा है कि आंगनबाड़ी केंद्रों से जितने भी बच्चे जुड़े हुए हैं उनके अभिभावकों के नंबर भी रजिस्टर में दर्ज किये जायें। डीडीसी ने सेविका और विकास मित्र को निर्देश दिया कि वह हर दिन घर-घर जाकर लोगों को एईएस के प्रति जागरूक करें।