ट्रेनों से पकड़े जाने के बाद मानव तस्करों ने अपना ट्रेंड बदल लिया है। अब मानव तस्करी के लिए बसों का सहारा ले रहे हैं। उसी से बच्चों को दिल्ली सहित विभिन्न राज्यों में भेजा शुरू कर दिया है। बिहार-झारखंड के विभिन्न जिलों से खुलने वाली दिल्ली की बसों से वे इन्हें ले जा रहे हैं। पकड़े जाने के डर से एक साथ अधिक बच्चों को नहीं ले जाते। अलग-अलग जगहों से खुलने वाली बसों में दो-चार की संख्या में ही बुकिंग करा लेते हैं।
वेश्यावृति के दलदल में धकेलते हैं
प्रत्येक महीने से 50 बच्चों को दिल्ली, मुंबई, पंजाब, हरियाणा, सूरत आदि शहरों में भेजने का टारगेट रखा है। इसमें 15 लड़कियां भी शामिल रहेगी। ग्रामीण क्षेत्र की भोली-भाली जनता को विश्वास में लेकर बच्चों को बड़े शहर में नौकरी दिलाने के नाम पर ले जाते हैं और वहां मजदूरी की आग में बच्चों को झोंक देते हैं। लड़कियों से काम लेने के साथ वेश्यावृति में उतार देते हैं।
सात दलालों को आरपीएफ ने पकड़ा था
एक समाजिक कार्यकर्ता की शिकायत पर खुफिया के कान खड़े हो गए हैं। एक समाजिक कार्यकर्ता की पहल पर 17 अगस्त को न्यू जलपाईगुड़ी से अमृतसर जाने वाली कर्मभूमि एक्सप्रेस की जनरल बोगी से 12 बच्चे को बरामद किया गया था। इसमें चार बड़े बच्चे शामिल थे। मौके से पकड़े गए सात दलालों को आरपीएफ ने पकड़कर कर जीआरपी को दिया। उसके बाद सभी को गिरफ्तार किया कर जेल भेजा गया।
जेल गए दलालों में अररिया के नरपतगंज का रहने वाला मो. अहमद, दरभंगा कुशेश्वरथाना के बहोड़ी निवासी चंदन यादव, शिवहर जिले के तरियानी निवासी मो. आलमगीर, मधेपुरा के चौसा थाना क्षेत्र के रसुलपुर निवासी सुशील मंडल, सीतामढ़ी परिहार का रहने वाला एजाज अली तथा कटिहार फलका थाना क्षेत्र का संजीव मंडल शामिल हैं।
मानव तस्करों का तार राजधानी दिल्ली से जुड़े
कर्मभूमि एक्सप्रेस से 17 अगस्त की शाम पकड़े सात दलालों को पकड़े जाने के बाद दिल्ली में बैठे मानव तस्करों के बीच हड़कंप मच गया। उसके बाद रणनीति यह बनी कि ट्रेनों में आरपीएफ, जीआरपी, टीटीई, चाइल्ड लाइन कर्मी के अलावा काफी संख्या में स्कार्ट पुलिस भी रहती है। इसके कारण कहीं न कहीं पकड़े जा रहे हैं। इसलिए बिहार-झारखंड में अलग-अलग जगहों के बच्चों को लाया जाए। उसके बाद बसों से ले जाना शुरू कर दिया है।
दलालों का अलग-अलग तय किया गया रेट
खुफिया सूत्रों के अनुसार ग्रामीण क्षेत्र से बच्चों को लाने से लेकर दिल्ली तक पहुंचाने के लिए चार स्तर का चेन तैयार किया गया है। ग्रामीण क्षेत्र से बच्चों को लाने वाले दलालों को तीन से लेकर 15000 रुपये तय किया गया है। दूसरे लोडर को आगे तक पहुंचाने में पांच से दस हजार रुपये तय किया गया है। तीसरे, चौथे तस्कर का रेट दूसरे लोडर इतना ही तय की गई। दिल्ली में बैठे चाैथे तस्कर को सभी जगहों पर भेजने का जिम्मा है।
बसों की नहीं होती चेकिंग
गोपालगंज के समीप यूपी बार्डर पर दोनों राज्यों की पुलिस अगर दिल्ली जाने वाली बसों की सही तरीके से जांच करें तो सबके सब वहीं पकड़े जाएंगे। एक समाजिक कार्यकर्ता की सूचना पर देश और राज्य की खुफिया पुलिस गुप्त तरीके से जांच शुरू कर दी है। उनकी रिपोर्ट सभी राज्यों के पुलिस मुख्यालय को जाएगी।