गोपालगंज के टैक्सी ड्राइवर का बेटा इंडिया-A के लिए खेलेगा:न्यूजीलैंड के खिलाफ पहला मैच, वकार यूनुस जैसे दिग्गज कर चुके हैं तारीफ : गोपालगंज के टैक्सी ड्राइवर का बेटे मुकेश कुमार का भारत-ए क्रिकेट टीम में हुआ है। वह न्यूजीलैंड के खिलाफ मैच बतौर तेज गेंदबाज खेलेगा। बीते 24 अगस्त को 30 वर्षीय मुकेश का चयन A टीम में होने के बाद पूरे जिले में खुशी की लहर दौड़ गई है। मां और चाचा समेत परिवार के अन्य लोग खुशी से फूले नहीं समा रहे हैं। मुकेश सदर प्रखंड के काकड़कुंड गांव का रहने वाला है। उसके पिता स्वर्गीय काशीनाथ सिंह कोलकाता में टैक्सी चलाते थे। दो साल पहले ब्रेन हैमरेज होने के कारण उनकी मौत हो गई थी।
वह स्वर्गीय काशीनाथ सिंह के दो बेटे और चार बेटियों में सबसे छोटा है। मुकेश के चाचा धर्मनाथ सिंह बताते हैं कि साल 2010 में हुए एक एक्सीडेंट ने उसकी तकदीर बदल दी। तब टैक्सी चालक पिता ने उसे कोलकाता बुला लिया था। कोलकाता में रहकर वह क्रिकेट खेलने लगा। साल 2014 में बंगाल टीम में शामिल हुआ और अगले साल रणजी ट्राफी के एक मैच में विस्फोटक बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग का विकेट लिया।
बता दें कि मुकेश दाहिने हाथ के तेज गेंदबाज हैं। साल 2005-06 में ‘प्रतिभा की तलाश क्रिकेट प्रतियोगिता’ में मुकेश की प्रतिभा देखी गई थी। इसके बाद साल 2009-10 में बिहार अंडर-19 टीम में सिलेक्ट हुए। हालांकि, बिहार की मान्यता नहीं रहने के कारण आगे नहीं बढ़ सके। कोलकाता में उन्होंने मनोज तिवारी की कप्तानी में खेलना शुरू किया था। अपने फर्स्ट क्लास क्रिकेट के कैरियर में अब तक 26 मैचों में 95 विकेट लिए हैं। इस दौरान उन्हें अशोक डिंडा, मोहम्मद शमी के साथ भी खेलने और सीखने का मौका मिला। वहीं अरूण लाल और वकार यूनुस जैसे दिग्गज खिलाड़ियों ने उनकी बॉलिंग की तारीफ की है।
क्रिकेट खेलने साइकिल से जाते थे 15 से 20 किलोमीटर
मां मालती देवी के अनुसार मुकेश का क्रिकेट के प्रति इतना लगाव था कि वह खेलने के लिए साइकिल से ही 15 से 20 किलोमीटर चला जाता थे। वो भी खाने-पीने की चिंता किए बिना। कई बार उसे डांट-फटकार भी लगाया करते थे। बावजूद छुपकर वह क्रिकेट खेलने निकल जाता।
मां ने बताया कि आज काफी खुश हूं कि मेरा बेटा क्रिकेट में नाम कमा रहा है। जो सोच थी, वो सोच पूरी हो गई। विदेश में जाकर क्रिकेट खेलेगा। वहीं मुकेश के चाचा ने बताया कि पूर्व में माली हालत अच्छी नहीं थी। मुकेश किसी तरह स्नातक तक की पढ़ाई पूरी किया। इसी बीच वह कोलकाता चला गया, जहां उनके पिता टैक्सी चलाते थे। वहीं रहकर क्रिकेट खेलने लगा। आज उसकी सफलता सबके सामने है।