Darbhanga Girl Sarita Kumari Selected Bihar T20 Team: अपनी बेटी की कामयाबी पर सरिता की मां रामपुरी देवी अपने पति को याद करते हुए कहती हैं कि उनके पिता भोला मांझी इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन आज उनके मृत आत्मा को जरूर संतुष्टि मिली होगी। उनकी बेटी अपनी लगन और जुनून के कारण पहली सीढ़ी चढ़ने में कामयाब हो गई है।
हिंदुस्तान में क्रिकेट का क्रेज युवाओं में सिर चढ़कर बोलता है, फिर चाहे वह लड़का हो या लड़की, क्रिकेट में सभी की दिलचस्पी रहती है। जब क्रिकेट में करियर बनाने की बात आती है तो सफलता काफी कम युवाओं के हिस्से में ही आती है।
बिहार के दरभंगा जिले के छोटे से गांव की बेटी सरिता कुमारी के संघर्ष की कहानी भी कुछ ऐसी ही है। सिर पर से पिता का साया बचपन में ही उठ गया, इसके बाद परिवार की आर्थिक स्थिति भी ठीक नहीं थी।
इसके बावजूद सरिता अपने सपने को साकार करने का जुनून लिए आगे क़दम बढ़ा रही हैं। वह अपनी मां के सपने को साकार करने जा रही हैं, क्योंकि उनका सिलेक्शन बिहार की अंडर-19 टी20 स्टेट टीम में हुआ है।
सरिता का बिहार की अंडर-19 महिला टी20 की स्टेट टीम में चयन
दरभंगा में क्रिकेट का इतिहास बहुत पुराना है। यहां के महाराज के वंशज कुमार शुभेश्वर सिंह के समय से ही क्रिकेट के बड़े-बड़े प्रतिभावान क्रिकेटर यहां से निकले हैं, लेकिन कुछ दिनों से और बिहार के बंटवारे के बाद राज्य और दरभंगा में भी धीरे-धीरे क्रिकेट खेल में पीछे होता चला गया।
लेकिन आज एक बार फिर दरभंगा चर्चा में है और वह भी क्रिकेट की वजह से ही। क्योंकि यहां की बेटी ने अपनी लगन और मेहनत से उस मुकाम को हासिल किया है, जहां तक पहुंचने का सपना हर क्रिकेट खिलाड़ी देखता है।
दरभंगा के केवटी प्रखंड के विजवरा गांव की रहने वाली सरिता का बिहार की अंडर-19 महिला टी20 की स्टेट टीम में चयन हुआ है।
प्रैक्टिस के लिए रोज 30 किलोमीटर साइकिल चलाती हैं सरिता
पूरे बिहार से 40 सदस्यीय प्रीपेरेटरी कैंप मैं बतौर ऑलराउंडर सरिता कुमारी ने टीम में अपनी जगह बनाई है। सरिता की मेहनत को सलाम इसलिए है कि पिता का साया बचपन में ही उठ गया, जिसके बाद घर की माली हालत ठीक नहीं होने के बावजूद के साइकिल से गांव से शहर हर रोज 15 किलोमीटर आना और 15 किलोमीटर जाती हैं।
रोजाना प्रैक्टिस के लिए 30 किलोमीटर साइकिल चलाकर ललित नारायण मिथिला विश्विद्यालय खेल मैदान कैंप पहुंचती थीं। सरिता के मेहनत और लगन देखकर पूरे गांव को विश्वास था कि एक दिन सरिता को कामयाबी जरूर मिलेगी और जब सरिता को बिहार के 40 खिलाड़ियों के बीच जगह मिला तो ग्रामीण इस खबर के खुश हैं।
अब ग्रामीणों को उस दिन का इंतजार है, जब सरिता कुमारी का चयन 40 खिलाड़ियों में से होगा और वो बिहार टीम का हिस्सा बनेंगी और खेल के मैदान में जाकर अपना जलवा देश और दुनिया के सामने बिखेरेंगी।
बेटी की सफलता से उसके पिता भी खुश होंगे: सरिता की मां
सरिता की मां रामपुरी देवी अपने पति को याद करते हुए कहती है की उनके पिता भोला मांझी इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन आज उनके मृत आत्मा को जरूर संतुष्टि मिली होगी।
उनकी बेटी अपनी लगन और जुनून के कारण पहली सीढ़ी चढ़ने में कामयाब हो गई है। उनकी मां ने कहा की बेटी भावों के बीच पाला, बड़ा किया लेकिन कभी उसने शिकायत नहीं की। अपने मकसद को लेकर आगे बढ़ती रही और आज उसे कामयाबी मिली।
यूनिवर्सिटी लेवल पर टीम की उपकप्तान रही हैं सरिता
सरिता ने क्रिकेट में अपना नाम जिला स्तर पर काफी कमाया है। आलराउंडर सरिता यूनिवर्सिटी लेवल पर टीम की उपकप्तान रही है और अपनी टीम को कई प्रतियोगिता में जीत दिलवा चुकी हैं।
वहीं उसके ट्रेनर रहे सुजीत ठाकुर भी खुशी जताते हुए कहा की ऑल इंडिया यूनिवर्सिटी खेल में सरिता आगे रही हैं। अब उसको मौका मिला है स्टेट टीम में खेलने का जिससे हमारे साथ पूरे कैंप के खिलाड़ियों के लिए गर्व की बात है।