मिलिए बिहार के मशहूर पाठक सर से, जानिए खान सर से क्यों होती है इनकी तुलना?

प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने वाले छात्रों के लिए पाठक सर का मार्गदर्शन बेहद सहज अंदाज में निरंतर अंतराल पर उनके फेसबुक पेज ‘ पाठक सर की सलाह’ के माध्यम से निः शुल्क मिलता रहता है। वो सरल अंदाज में अभ्यर्थियों का कुशल मार्गदर्शन करने में सिद्धहस्त माने जाते हैं। परीक्षा की तैयारी से संबंधित जटिल प्रश्नों को वो बेहद सहज अंदाज में सुलझाते हैं।

जटिल से जटिल विषय को हिंदी में बेहद आसानी से समझाने के लिए पटना के खान सर काफी मशहूर हैं। खान सर की ही तरह बिहार के सीवान में गणेश दत्त पाठक नाम के एक सर हैं जो सोशल मीडिया के जरिए हिंदी माध्यम के छात्रों के प्रोत्साहन और मार्गदर्शन में जुटे हुए हैं।

‘पाठक सर’ के नाम से भी जाने जाने वाले गणेश दत्त पाठक सीवान के अयोध्यापुरी में रहते हैं। मूल रूप से जीरादेई प्रखंड के जामापुर गांव के रहने वाले पाठक सर का सहयोग हिंदी माध्यम के छात्रों के लिए बेहद लाभदायक होता है। हिंदी दिवस के अवसर पर ऐसे विभूतियों का योगदान स्मरणीय है।

सोशल मीडिया पर हिंदी माध्यम के अभ्यर्थियों का निरंतर मार्गदर्शन

प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने वाले छात्रों के लिए पाठक सर का मार्गदर्शन बेहद सहज अंदाज में निरंतर अंतराल पर उनके फेसबुक पेज ‘ पाठक सर की सलाह’ के माध्यम से निः शुल्क मिलता रहता है।

वो सरल अंदाज में अभ्यर्थियों का कुशल मार्गदर्शन करने में सिद्धहस्त माने जाते हैं। परीक्षा की तैयारी से संबंधित जटिल प्रश्नों को वो बेहद सहज अंदाज में सुलझाते हैं।

Sir named Ganesh Dutt Pathak in Siwan, Bihar
बिहार के सीवान में गणेश दत्त पाठक नाम के सर

महामारी के दौरान निःशुल्क हेल्पलाइन से छात्रों को किया था मोटिवेट

कोरोना महामारी के दौरान हिंदी माध्यम के कई छात्र नियमित पढ़ाई में व्यवधान आने से अवसाद में आ गए थे। उन छात्रों को पाठक सर ने निःशुल्क हेल्पलाइन पर सलाह देकर मोटिवेट किया था और उन्हें पुनः उत्साहित कर अपने लक्ष्य के प्रति प्रेरित किया था।

निराश अभ्यर्थियों में जगाई थी आशा की किरण

बात 2020 की है, सिविल सेवा परीक्षा में हिंदी माध्यम से मात्र 11 अभ्यर्थियों का चयन हुआ था। इससे हिंदी माध्यम के अभ्यर्थी काफी परेशान हो गए थे। हताश होकर कई अभ्यर्थी माध्यम बदलने की सोचने लगे थे।

सिविल सेवा परीक्षा देने के दौरान माध्यम का बदलना बेहद गलत फैसला होता। ऐसे में पाठक सर ने हिंदी माध्यम के अभ्यर्थियों की पीड़ा को समझा और सोशल मीडिया पर एक बड़ा अभियान शुरू किया जिसमें बताया गया कि उत्तर की गुणवत्ता विशेष मायने रखती है न कि माध्यम।

सिविल सेवा परीक्षा में हिंदी माध्यम से सफल कई प्रशासनिक अधिकारियों ने भी उनके इस अभियान में हिस्सा लिया था। इसका नतीजा यह हुआ कि हिंदी माध्यम के कई अभ्यर्थियों का करियर तबाह होने से बच गया।

इस तरह पाठक सर समय-समय पर अपने कुशल मार्गदर्शन से हिंदी माध्यम के हजारों अभ्यर्थियों को लाभान्वित करते रहते हैं।

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