अब बिहार की एक और पहचान होगी, वो पहचान होगी- सबसे बड़े राम, सीता, शिव और बुद्ध की मूर्ति से। यहां इनकी विश्व की सबसे बड़ी मूर्ति लगाई जाएंगी। सबकी अपनी खासियत होगी।
बक्सर में भगवान श्रीराम और सीतामढ़ी में माता सीता, बोधगया में महात्मा बुद्ध की मूर्ति (तैयार हो गई है) इसके साथ पूर्वी चंपारण में विश्व का सबसे बड़ा शिवलिंग स्थापित होगा। इस बार संडे स्टोरी में हम आपको बिहार की ऐसी ही मूर्तियों के बारे में बताने जा रहे हैं…
पूर्वी चंपारण के केसरिया कैथवलिया (जानकी नगर) में बन रहे विराट रामायण मंदिर में विश्व का सबसे बड़ा शिवलिंग स्थापित किया जाएगा। शिवलिंग की उचांई के साथ गोलाई भी 33 फीट होगी। लगभग 250 मीट्रिक टन वजन वाले इस शिवलिंग को तमिलनाडु के त्रिचुरापल्ली की पहाड़ी ग्रेनाइट से तैयार किया जा रहा है।
इसमें सबसे ऊपर शिव के पांच मुख (पंचानन) होंगे और नीचे 1008 सहस्रलिंगम की नक्काशी होगी। मंदिर का उद्घाटन 2024 में होगा, जिसके बाद दर्शन-पूजन शुरू हो जाएंगे। तमिलनाडु के त्रिचुरापल्ली की पहाड़ी ग्रेनाइट को शिवलिंग बनाने के लिए 156 चक्के और 122 फीट लंबी लॉरी से महाबलीपुरम पहुंचाया गया है। वहां से तराशने के बाद इसे कैथवलिया लाया जाएगा।
शिवलिंग ऐसा है कि इसे बिहार तक लाने में डेढ़ महीने लग जाएंगे। ऐसा इसलिए क्योंकि ट्रक की स्पीड 5 किलोमीटर प्रति घंटे होगी। वजन से कहीं सड़क न धंस जाए, इसलिए चकिया से कैथवलिया तक 12 किलोमीटर तक विशेष तकनीक से सड़क और पुल-पुलिया भी बनाई जाएगी।
महावीर मंदिर ट्रस्ट के सचिव आचार्य किशोर कुणाल बताते हैं कि दुनिया के सबसे बड़े शिवलिंग का निर्माण तमिलनाडु के महाबलीपुरम में हो रहा है। शिवलिंग इतना विशाल है कि इसे स्थापित करने के लिए पहले मंदिर में पाइलिंग का काम होगा, प्लिंथ तक आकर काम रोक दिया जाएगा। इसके बाद शिवलिंग की स्थापना होगी, तब छत का निर्माण शुरू होगा। वर्ष 2023 में शिवलिंग स्थापित हो जाएगा, लेकिन मंदिर का निर्माण 2024 तक पूरा होगा।
इश्तियाक अहमद ने दान की ढाई करोड़ की जमीन
मोतिहारी में बन रहे विराट रामायण मंदिर के लिए चम्पारण के इश्तियाक अहमद ने ढाई करोड़ की लगभग 23 कट्ठा जमीन दान की है। अयोध्या से जनकपुर तक बन रहे जानकी पथ पर ही चंपारण का जानकी नगर है, जहां विराट रामायण मंदिर बनाया जा रहा है। ऐसी मान्यता है कि प्रभु श्रीराम की बारात जनकपुर से वापसी के दौरान मोतिहारी के इसी स्थान पर रुकी थी, जहां अब मंदिर और विश्व का संबसे बड़ा शिवलिंग बनाया जा रहा है।
पटना के महावीर मंदिर ट्रस्ट द्वारा बनवाया जा रहा यह मंदिर नया इतिहास बनाएगा। ट्रस्ट के सचिव आचार्य किशोर कुणाल के मुताबिक मंदिर की उंचाई 270 फीट और लंबाई 180 फीट है, जबकि चौड़ाई 540 फीट होगी। मंदिर के तीनों तरफ से सड़क होगी। विराट रामायण मंदिर को नोएडा की एसबीएल कंपनी बना रही है। मंदिर के निर्माण में लगभग 500 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान है।
बोधगया में शयन मुद्रा वाली सबसे बड़ी मूर्ति
बोधगया जहां भगवान बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई वहां अब बिहार नया इतिहास बनाने जा रहा है। महात्मा बुद्ध की शयन मुद्रा वाली दुनिया की सबसे बड़ी मूर्ति यहां बनकर तैयार है। बुद्धा इंटरनेशनल वेलफेयर मिशन द्वारा बनवाई जा रही मूर्ति के लिए कोलकाता के मशहूर मूर्तिकार मिंटू पॉल और उनकी टीम को लगाया गया है।
बुद्ध मूर्ति की लंबाई 100 फीट और उंचाई 30 और चौड़ाई 24 फीट है। भगवान बुद्ध की यह मूर्ति महापरिनिर्वाण (शयन मुद्रा) में बनाई जा रही है। माना जा रहा है कि इस मुद्रा में यह दुनिया की सबसे बड़ी मूर्ति है।
बुद्धा इंटरनेशनल वेलफेयर मिशन के फाउंडर सेक्रेटरी आर्य पाल भिक्षु के मुताबिक 2011 में इसकी नींव रखी गई थी, 2019 में काम शुरू कराया गया था। कोरोना के कारण मूर्ति के निर्माण में थोड़ी देरी हो गई। फाइबर ग्लास से बनी मूर्ति का निर्माण लगभग पूरा हो गया है, फरवरी में इसका उद्घाटन कर दिया जाएगा।
बुद्धा इंटरनेशनल वेलफेयर मिशन के आर्य पॉल भिक्षु बताते हैं कि यह बुद्ध की अद्भुत मूर्ति होगी, भगवान बुद्ध ने 80 साल की अवस्था में इसी मुद्रा में अपना अंतिम संदेश दिया था। भगवान बुद्ध की इस अदभुत मूर्ति में उत्तर दिशा में दाहिने हाथ पर उनका सिर टिका है। पैर पश्चिम दिशा में हैं, चेहरे पर दिख रही शांति बड़ा संदेश दे रही है। दोनों होठों को देखकर लगता है कि भगवान बुद्ध मुस्कान भाव में हैं। कोलकाता के मूर्तिकार मिंटू पाॅल और उनके साथ 22 शिल्पकारों ने अपनी कला से मूर्ति में जान डाल दी है। बोधगया नगर पंचायत क्षेत्र के न्योतापुर के जानी बिगहा में भगवान बुद्ध की यह मूर्ति बिहार की नई पहचान बनेगी।
विश्वामित्र की नगरी में श्रीराम की दुनिया की सबसे बड़ी मूर्ति
बक्सर को विश्वामित्र की नगरी कहा जाता है। यहां भगवान श्रीराम ने ताड़का और सुबाहू जैसे कई राक्षसों का बधकर ऋषि मुनियाें को मुक्ति दिलाई थी। ऋषियों की इस पावन नगरी से ही श्रीराम ने गुरु विश्वामित्र के साथ माता सीता के स्वयंवर के लिए जनकपुर प्रस्थान किया था।
बक्सर अब दुनिया की सबसे बड़ी राम मूर्ति के लिए भी जाना जाएगा। यहां एक हजार फीट उंची मूर्ति बनाने की योजना 2024 तक पूरी हो जाएगी।
मूर्ति का निर्माण साधु-संतों के साथ आम जन के सहयोग से होगा, पहला चंदा 9 लाख रुपया श्रीमदभागवत तुलसी पीठाधीश्वर पद्मविभूषण जगदगुरु रामभद्राचार्य जी महाराज ने बक्सर में आयोजित 1357 वीं श्री रामकथा में दिया है।
INPUT: Bhaskar.com
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