बिहार के जिला अस्पतालों में प्रति 1 लाख की आबादी पर औसतन 6 बेड हैं, जो देशभर में सबसे कम है। सबसे अधिक 222 बेड पुडुचेरी में हैं। बिहार का स्थान इस मामले में देशभर में सबसे नीचे है। सरकार के शीर्ष थिंक टैंक नीति आयोग की ओर से किए गए अध्ययन यह खुलासा हुआ है। अध्ययन की रिपोर्ट हाल ही में जारी की गई है। हालांकि भवन निर्माण मंत्री डॉ.अशोक चौधरी ने नीति आयोग की रिपोर्ट को सिरे से खारिज किया।
कहा-’हमलोग नीति आयोग की रिपोर्ट को नहीं मानते हैं। हमलोगों ने 15 वर्षों में स्वास्थ्य के क्षेत्र में बहुत काम किया है। यह सबकुछ खुलेआम है, सबको दिख रहा है। पहले क्या हाल था, छुपा है? तब, स्वास्थ्य व चिकित्सा व्यवस्था नाम की कोई चीज थी क्या?’ वहीं उप मुख्यमंत्री तार किशोर प्रसाद ने कहा कि विगत 15 वर्षों में हमने स्वास्थ्य तथा अन्य क्षेत्रों में आधारभूत संरचनाएं खड़ी कीं। रिपोर्ट के अनुसार देश में एक जिला अस्पताल में प्रति 1 लाख की आबादी पर 24 बेड हैं। बिहार के औसतन 8 अस्पतालों में ही डायग्नोस्टिक टेस्टिंग सर्विस की सुविधा उपलब्ध है। देश भर में बिहार का स्थान 7वां है। गौर करने वाली बात यह है कि देश के कुल 742 जिलों में से सिर्फ 101 जिलों के सरकारी अस्पतालों में सभी 14 तरह के विशेषज्ञ डॉक्टर तैनात हैं। इनमें से 52 अस्पताल दक्षिण के सिर्फ 6 राज्यों में हैं।
राज्य बेड/1 लाख आबादी : {दिल्ली 59{कर्नाटक 33{केरल 22{ओडिशा 22{तमिलनाडु 22{मध्यप्रदेश 20{छत्तीसगढ़ 20{प. बंगाल 19{राजस्थान 19{गुजरात 19राज्य बेड/1 लाख आबादी{पंजाब 18{आंध्र 18{जेएंडके 17{महाराष्ट्र 14{हरियाणा 13{यूपी 13{तेलंगाना 10{झारखंड 9{बिहार 6 {भारत 22
बिहार में 36 जिला अस्पताल हैं, इनमें से 3 में ही आईपीएचएस 2012 के मानक के अनुसार डॉक्टर हैं। यानि 8.33 प्रतिशत। 6 अस्पतालों में ही आईपीएचएस मानक के अनुसार स्टाफ नर्स हैं। 19 अस्पतालों में पारामेडिकल मानक के अनुसार मिले हैं, बाकी अस्पतालों में मानक के अनुसार डॉक्टर, नर्स व स्टाफ नहीं हैं। आईपीएचएस का मानक कहता है कि 100 बेड के अस्पताल में 29 डॉक्टर, 45 स्टाफ नर्स तथा 31 पारामेडिकल स्टाफ होने चाहिए।
input:daily bihar