जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कृषि कानूनों के खिलाफ हो रही सियासत को राजनीतिक धोखाधड़ी करार देते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि कुछ लोग केवल विरोध के लिए विरोध करते हैं। कृषि कानून छोटे किसानों की भलाई के लिए हैं। जरूरी नहीं कि कोई भी फैसला शत प्रतिशत लोगों को रास आए। कुछ लोगों के अलग विचार हो सकते हैं। लेकिन अगर बहुमत का उससे भला होता है तो सरकार की जिम्मेदारी है कि उसे ठीक से लागू किया जाए।
आगामी सात अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी शासन (मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री) में लगातार 20 साल का कार्यकाल पूरा कर रहे हैं। ऐसे में अपनी राजनीतिक जीवन यात्रा और शासन के मूलमंत्र पर ओपन मैगजीन से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि आलोचकों की वह बहुत कद्र करते हैं, बल्कि उन्हें तो आलोचकों की कमी खलती भी है। सच्चाई यह है कि आलोचक होने के लिए पूरी पृष्ठभूमि को समझना होता है। आज कई लोग ऐसे हैं जो बिना समझ के विरोध करते हैं। कठघरे में खड़ा करते हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा, क्या अब भी लोगों को अपने अधिकार के लिए इंतजार करना पड़ेगा। मेरा मानना है कि नहीं। इसके लिए बड़े और जरूरी हुआ तो कड़े फैसले लिए ही जाने चाहिए। कोई राजनीतिक दल अगर वादा करके उसे पूरा नहीं करता है तो वह राजनीतिक धोखाधड़ी है। किसानों की भलाई के लिए लाए गए कानून के विरोध में यही राजनीतिक धोखाधड़ी दिख रही है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार ने पहले दिन से साफ कर दिया है कि किसी भी ऐसे ¨बदु पर सरकार पूरी चर्चा के लिए तैयार है, जिस पर कोई संदेह हो। लेकिन आज तक कोई भी ऐसे विशिष्ट बिंदु के साथ आगे नहीं आया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि दरअसल कुछ लोग घबराए हुए हैं कि अगर ऐसे फैसले लिए जाते रहे तो मोदी की सफलता को रोकना मुश्किल हो जाएगा। मैं उन्हें कहता हूं कि मोदी की सफलता की मत सोचो, आप सोचो कि देश को आगे बढ़ना चाहिए या नहीं।
मोदी ने कहा कि सवाल उन दलों का है, जो घोषणापत्र में वादा कुछ करते हैं और काम कुछ और करते हैं। यही लोग जीएसटी, आधार और नए संसद भवन का विरोध कर रहे हैं, जबकि कई लोकसभा अध्यक्षों तक ने इसकी जरूरत महसूस की थी।
प्रधानमंत्री ने कहा कि जब पहली बार 2001 में शासन में आया था तो लोगों से तीन वादे किए थे-मैं खुद के लिए कुछ नहीं करूंगा, मैं जो कुछ करूंगा, उसमें कभी गलत मंशा नहीं होगी और मेहनत करूंगा। ये मंत्र लगातार मेरे दिलो दिमाग में होते हैं।
जब प्रधानमंत्री से पूछा गया कि वह जो फैसले ले रहे हैं, उसका लाभ क्या 2024 में उठा पाएंगे? उन्होंने कहा कि जनता जानती है कि क्या अच्छे फैसले हो रहे हैं और किसकी मंशा साफ है। अगर ऐसा न होता तो 20 साल से जनता का आशीर्वाद नहीं मिल रहा होता।
प्रधानमंत्री मोदी आज सियासत के उस मुकाम पर हैं, जहां पहुंचना किसी भी राजनीतिज्ञ का सपना होता है। लेकिन वह खुद इस उपलब्धि को देश की शक्ति मानते हैं। उनका कहना है कि इस देश की मिट्टी का कमाल है कि उनके जैसे एक गरीब परिवार के बेटे को प्रधानमंत्री बना दिया। जो कुछ उन्होंने हासिल किया है, उसे इस देश का कोई भी व्यक्ति हासिल कर सकता है। इसीलिए वह देश के हर युवा को केवल ऐसी मदद देने में विश्वास नहीं करते हैं, जिससे वह हमेशा आश्रित ही बना रहे। मदद इस तरह होनी चाहिए कि वह आत्मविश्वास के साथ खुद खड़ा हो पाए।
प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी कहा, मेरी सरकार गांधीजी के उस मंत्र पर चलती है, जिसमें अंतिम व्यक्ति के हित की बात की गई थी। अगर उस मानक पर कोई भी संदेह होता है तो मैं रुक जाता हूं। लेकिन फैसला खरा होता है तो फिर पीछे नहीं हटता।
गरीबों के लिए रसोई गैस सिलेंडर वितरण और शौचालय बनाने या डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने जैसे अपनी सरकार के उपायों का उल्लेख करते हुए, उन्होंने कहा कि भारत के राजनीति कई वर्ग लोगों को राज शक्ति के लेंस के माध्यम से देखते हैं,जबकि वह उन्हें जन शक्ति के रूप में देखते हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी कहा कि कोरोना महामारी से कई विकसित देशों की तुलना में भारत बेहतर तरीके से निपटा है। कोरोना महामारी से निपटने के लिए उनकी सरकार की आलोचना करने वालों पर निशाना साधते हुए कहा कि हमारे बीच कुछ ऐसे लोग भी है,जिनका एकमात्र उद्देश्य भारत का नाम खराब करना है। कोविड एक वैश्विक संकट है, जिसमें सभी देश समान रूप से प्रभावित हुए। ऐसे में भारत ने इस तरह के नकारात्मक अभियानों के बावजूद कई विकसित देशों से बेहतर प्रदर्शन किया है।
Input: Daily Bihar